हरितालिका तीज: आपने भी रखा है व्रत तो जानें क्या है पूजा की सही विधि

आस्था

हरितालिका तीज हिंदू धर्म का सबसे बड़ा व्रत माना जाता है। महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए निर्जला और निराहार रहकर ये व्रत करती हैं। वहीं कुवांरी लड़कियों के लिए भी ये व्रत बड़ा खास माना जाता है।ऐसा कहा जाता है कि कुवांरी लड़कियां अगर इस व्रत को करें तो उन्हें भगवान शिव जैसा पति मिलता है। पूरा दिन भूखे प्यासे रहकर महिलाएं रतजगा भी करती हैं। तो चलिए हम आपको बताते हैं इस पावन व्रत के कुछ नियम और पूजन विधि।

हरितालिका तीज के नियम
यह व्रत निर्जला किया जाता है। यानि कि एक पूरा दिन और अगली सुबह सूर्योदय तक महिलाएं जल ग्रहण नहीं कर सकती हैं।
इस व्रत को कुवांरी लड़कियां और शादीशुदा महिलाएं ही कर सकती हैं।
ऐसा माना जाता है कि इस व्रत को जब भी कोई लड़की या महिला एकबार शुरू कर देती है, तो हर साल उसे पूरे नियमों के साथ ये व्रत रखना पड़ता है। इसे बीच में छोड़ नहीं सकती।
इस व्रत में महिलाएं नए कपड़े पहनकर संवरती हैं और पूरे सोलह श्रृंगार करती हैं और कई सारी महिलाएं एकसाथ मिलकर रातभर पूजा और भजन करती हैं।
ऐसा भी माना जाता है कि जिस घर में इस व्रत की पूजा की जाती है, वहां इसका खंडन नहीं किया जाता है। यानि कि एकबार घर में पूजा शुरू हो जाती है तो उस घर में हर साल इस व्रत की पूजा पूरे विधि-विधान से होती है।
हरितालिका तीज की पूजन विधि
हरितालिका तीज में पूजन के लिए काली मिट्टी से शिव, पार्वती और गणेश की प्रतिमा बनाई जाती है। उसके बाद फुलेरा बनाकर उसे सजाया जाता है और इसके अंदर चौकी रखकर उसपर रंगोली बनाई जाती है। इस रंगोली के ऊपर केले के पत्ते रखकर इसपर शिव, पार्वती की प्रतिमा रखी जाती है।
इसके बाद कलश की हल्दी और कुमकुम से पूजा की जाती है और इसके बाद गणेश की प्रतिमा की पूजा की जाती है।इसके बाद शिव और गोरी की पूजा करके संपूर्ण श्रृंगार किया जाता है और हरितालिका तीज की व्रत कथा का पढ़ी जाती है।
इसके बाद गणेश, शिव और पार्वती की आरती की जाती है।
पूजा के बाद भगवान की परिक्रमा की जाती है। रातभर जागकर ये पूजा की जाती है और सुबह में गौरा को सिंदूर चढ़ाया जाता है और उसके बाद हलवे और ककड़ी का भोग लगाकर महिलाएं अपना व्रत तोड़ती हैं।

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