हर और हरि, यानि भगवान शिव और विष्णु, दोनों मित्र हैं। इस मित्रता का वर्णन ग्वालियर के कोटेश्वर महादेव temple की दीवारों पर मिलता है। इस मंदिर की दीवारों पर बने 150 साल पुराने इन चित्रों को पुराणों से लिया गया है, जिसमें शिव और विष्णु हाथ मिलाते नजर आते हैं।
पुराणों में बताया गया है कि शिव हमेशा से विष्णु की लीलाओं पर मुग्ध रहते हैं। ऐतिहासिक दुर्ग की तलहटी में बने कोटेश्वर महादेव मंदिर में शिवलिंग की स्थापना भले ही सिंधिया राजवंश ने कराया हो, लेकिन यह सदियों पुराना है।
इस मंदिर की दीवारों पर शिव की महिमा का जो चित्रण है, उसमें शिव और विष्णु की मित्रता से जुड़ा एक चित्र है। इस चित्र में शिव नंदी और विष्णु हाथी पर बैठकर एक-दूसरे से हाथ मिला रहे हैं। यह चित्र बहुत ही दुर्लभ माना जाता है।
वैसे तो विष्णु, महादेव शिव को अपना आराध्य मानते हैं, लेकिन शिव भी विष्णु की लीलाओं से मुग्ध रहते हैं। विष्णु पुराण में विष्णु को ही शिव कहा गया है तो शिवपुराण के मुताबिक शिव के हजारों नामों में से एक नाम विष्णु भी है।
पुराणों में ही बताया गया है कि दोनों के बीच मित्रता और आस्था का भाव हमेशा से बना रहा है। यही नहीं शिव और विष्णु ने एकरूपता दर्शाने के लिए हरिहर का रूप भी रखा था।