आज पूरे धूमधाम से हनुमान जयंती मनाई जा रही है। पटना सहित सभी हनुमान मंदिरों में हनुमान जी के दर्शन करने के लिए श्रद्धालुओं का ताँता लगा हुआ है। रामनवमी के 6 दिनों बाद हनुमान जयंती मनाया जाता है। मान्यता है कि अपने आराध्य के धरती पर अवतार लेने के बाद हनुमान उनके दर्शन के लिए इतने व्याकुल हो गए थे की उन्होंने छह दिन बाद ही धरती पर जन्म लिया।
चैत्र पूर्णिमा पर भगवान शिव के ग्यारहवें अवतार हनुमान का जन्म हुआ था। कहा जाता है कि भगवान राम के आशीर्वाद से हनुमान अमर हो गए और आज भी वो अपने भक्तों को अभयता का वरदान देते हैं।
हालाँकि हनुमान जी के जन्म को लेकर भ्रांतियां हैं। वाल्मीकि रामायण के मुताबिक हनुमान का जन्म कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी को हुआ और पुराणों में पवनसुत का जन्म तिथि चैत्र पूर्णिमा को बताया गया है। इसी कारण शास्त्रों के अनुसार हनुमान जयंती साल में दो बार मनाई जाती है, पहली चैत्र मास की शुक्ल पूर्णिमा के दिन और दूसरी कार्तिक मास की कृष्ण चतुर्दशी को। वैसे चैत्र पूर्णिमा को ही मारुतिनंदन हनुमान की जयंती धूमधाम से मनाई जाती है।
एक बार भगवान शिव ने श्री विष्णु से दास्य का वरदान प्राप्त किया था, जिसकी पूर्ती हेतु उन्होंने हनुमान का अवतार लिया था। लेकिन उनके सामने यह धर्मसंकट था कि जिस रावण के वध के लिए वह श्रीराम की सहायता करना चाहते थे वह शिवजी का परम भक्त था। अपने परम भक्त के विरुद्ध भगवान् राम की सहायता कैसे की जाये, यह अति जटिल प्रश्न था। रावण ने भगवन शिव तो अपने दस सिरों को अर्पित रूद्र देव को संतुष्ट कर रखा था। स्कंदपुराण में लिखा है कि इसीलिए विष्णु के अवतार श्रीराम की सहायता हेतु हनुमान ने ग्यारहवें रुद्र के रूप में धरती पर अवतार लिया और राम के सहायक बने
भगवन राम से अमरता का वार्डन मिलने से कलियुग में भक्तों के कष्टों को हरने में हनुमान समान दूसरा कोई देव नहीं है। हनुमान जी जल्दी कृपा करते हैं।