गया का तपोवन है चमत्कारिक! यहां नहाने से ठीक होते हैं चर्म रोग

आस्था जानकारी

 गया के मोहड़ा प्रखंड स्थित तपोवन तपोभूमि है. यह ऋषि मुनियों की धरती रही है. देवी देवताओं का यहां वास रहता है. तपोवन में ब्रह्मा जी के चार पुत्रों के नाम पर चार कुंड स्थित है. राजगीर की तरह यहां भी गर्म पानी आता है. करीब आधे किलोमीटर की दूरी पर जेठियन पहाड़ी से इस गर्म कुंड का स्रोत बताया जाता है.

चारों कुंडों में जेठियन पहाड़ से ही गर्म पानी आता है, जो कि कुंड में प्रवाहित होता रहता है. कहा जाता है कि आज भी इन पहाड़ियों पर ऋषि, मुनि, देवता विराजमान हैं. इनका धार्मिक महत्व काफी है. यहां भगवान राम के आने और भगवान बुद्ध के रुकने की बात बताई जाती है. यहां पर स्नान करने मात्र से चर्म रोग ठीक हो जाता है.

यहां ब्रह्मा जी का है वास
मान्यता है कि यहां पौराणिक कुंड है, जिसे ब्रह्मा जी के चारों पुत्रों सनत, सनातन, सनक, सनंदन के नाम से जाना जाता है. ब्रह्मा जी को प्रसन्न करने के लिए चारों पुत्रों ने कठोर तप किया था. इसके बाद से यह चारों कुंड विराजमान हैं, जो कि ब्रह्मा जी के पुत्रों के नाम पर हैं. यह गंगा के समान है, जिस तरह गंगा में स्नान से पुण्य प्राप्त होता है. उसी तरह से यहां स्नान से पुण्य मिलता है. पाप नष्ट होते हैं और चर्म रोगों से भी छुटकारा मिलता है. तपोवन से जुड़ी धार्मिक कई कथाएं प्रचलित हैं. लोग बताते हैं कि यहां ब्रह्मा जी का स्वयं वास है.

चारों भाई 5 साल के ही रहे
धर्म ग्रंथों के अनुसार, सृष्टि के आरंभ में लोक पितामह ब्रह्मा ने अनेक लोकों की रचना करने की इच्छा से घोर तपस्या की. उनके तप से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु ने तप अर्थ वाले सन नाम से युक्त होकर सनक, सनन्दन, सनातन और सनतकुमार नाम के चार मुनियों के रूप में अवतार लिया. चारों भगवान विष्णु के सर्वप्रथम अवतार माने जाते हैं. यह सभी सर्वदा पांच वर्ष आयु के ही रहे न कभी जवान हुए ना बुढ़े. चार भाई एक साथ ही रहते हैं. ब्रह्मांड में विचरण करते रहते हैं.

स्नान करने से ठीक होता है चर्म रोग
इस संबंध में जानकारी देते हुए तपोवन के पुजारी दयानिधि शरण बताते हैं कि जब सृष्टि की संरचना हुई थी, तब ब्रह्म ने अपने चार मानस पुत्र को मानव के विकास के लिए धरती पर भेजा था, लेकिन उनके चारों पुत्र भगवान की तपस्या में लीन हो गए थे. उनकी तपस्या को देखकर भगवान धरती पर आए और चारों पुत्र को आशीर्वाद दिया. चार पुत्रों ने भगवान से यही वरदान मांगा था कि वह सभी जस के तस 5 वर्ष के ही रहें. तब से यह चारों 5 वर्ष की आयु के ही रहे और आज भी तपोवन में चारों विराजमान हैं. चारों पुत्र के नाम से तपोवन में चार गरम कुंड हैं. मान्यता है कि इस कुंड में स्नान करने से चर्म रोग ठीक हो जाता है.

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