धार्मिक मान्यता के अनुसार सनातन धर्मावलंबियों के सभी 33 कोटि देवी देवता मलमास मेले के दौरान राजगीर में प्रवास करते हैं. मलमास अधिकमास में सभी शुभ कार्यो पर रोक लगी रहती है. पौराणिक कथाओं के अनुसार इस दौरान यहां प्रवास पर आए सभी देवी-देवता को एक ही कुंड में स्नान करने में परेशानी हुई, जिसके बाद ब्रह्मा जी ने यहां 22 कुंड और 52 जल धाराओं का निर्माण किया था. जिनका इस मेले में विशेष महत्व माना गया है. राजगीर के मलमास मेला का विशेष महत्व है, लेकिन क्या आपको पता है कि गया में भी एक दिन का मलमास मेला होता है. इस दिन ब्रह्म कुंड में स्नान कर ब्राह्मणों को दान दक्षिणा देने का विधान है.
राजगीर में मलमास मेला के समाप्त होने के अगले दिन गया के प्रेतशिला में 1 दिन का मिनी मलमास लगता है. यहां गया तथा आसपास के जिले के लोग प्रेतशिला स्थित ब्रह्मकुंड में स्नान कर मंदिर मे पूजा पाठ करने के बाद ब्राह्मणों को दान दक्षिणा देते हैं. मिनी मलमास को लेकर प्रेतशिला के पास डिज्नीलैंड मेला लगाया गया है. तकरीबन 7 दिनों तक यहां काफी भीड़ रहती है. बता दें कि प्रेतशिला पर अकाल मृत्यु को प्राप्त लोगों का पिंड दान किया जाता है. यहां देश-विदेश के लोग पहुंचते हैं तथा पहाड़ के तलहती में स्थित ब्रह्म कुंड में स्नान करते हैं.
आज लगा है मिनी मलमास मेला
इस संबंध में जानकारी देते हुए प्रेतशिला गया गदाधर धामी पंडा समिति के सदस्य रणधीर कुमार पांडे बताते हैं कि चतुर्मास के अमावस्या के दिन प्रेतशिला में मिनी मलमास होता है. यहां गया तथा आसपास के जिले के लोग ब्रह्म कुंड में स्नान कर जप तप करते हैं.दान करके चले जाते हैं. कुछ साल पहले तक यहां काफी भीड़ होती थी, लेकिन पिछले कुछ सालों से भीड कम गई है.सिर्फ आसपास के लोग आते हैं. इसके अलावा यहां मेला लगता है. जिसमें 7 दिन तक ग्रामीण क्षेत्र के लोग इसका आनंद उठाते हैं. प्रत्येक 3 साल के बाद राजगीर मलमास मेला समाप्त होने के अगले दिन यहां मिनी मलमास होता है जो एक दिन का होता है.