सरकारी विद्यालय को लेकर लोगों में यह आम धारणा रहती है कि यहां बेहतर पढ़ाई नहीं होती. लेकिन गया का एक सरकारी विद्यालय इस धारणा को गलत साबित कर रहा है. दरअसल, गया नगर प्रखंड के डिहुरी गांव स्थित मध्य विद्यालय के बच्चे प्राइवेट स्कूल के बच्चों को टक्कर दे रहे हैं. इस स्कूल के छोटे-छोटे बच्चे फर्राटेदार अंग्रेजी बोलते हैं. इन बच्चों की अंग्रेजी सुनकर आप भी हैरान रह जाएंगे. बच्चों को संवारने में यहां के शिक्षक और प्रधानाचार्य खूब मेहनत करते हैं और यही वजह है कि यह विद्यालय हर विधा में पूरे जिले में हमेशा अव्वल आता है. इस वर्ष बिहार स्वच्छ विद्यालय पुरस्कार-2022 के तहत गया जिले से इसी विद्यालय का चयन हुआ था.
बता दें कि मध्य विद्यालय डिहुरी में 256 बच्चों का नामांकन है और यहां के लगभग सभी बच्चे अंग्रेजी में ही अपना इंट्रोडक्शन देते हैं. विद्यालय में बेहतर पढ़ाई होने के कारण यहां बच्चों के उपस्थिति भी हर दिन 80 फीसदी से ऊपर रहती है. विद्यालय के प्रधानाचार्य और शिक्षकों के सहयोग से यहां बच्चों के लिए चिल्ड्रन बैंक, बुक स्टॉल, हॉस्पिटल आदि का संचालन किया जा रहा है. इसके अलावा यहां के बच्चे कंप्यूटर में भी दक्ष हैं. अगर यहां के बच्चे को छुट्टी लेनी होती है या तबीयत खराब होने पर अचानक घर जाना चाहते हैं तो उनका रजिस्टर मेंटेन किया जाता है और बच्चों से आवेदन जमा कराए जाते है. छुट्टी लेने के लिए बच्चों के अभिभावक की सहमति जरूरी होती है. तभी विद्यालय के प्रधानाचार्य उनकी छुट्टी मंजूर करते हैं.
सेल्फ इंट्रोडक्शन की प्रैक्टिस
विद्यालय के शिक्षक संदीप कुमार बताते हैं कि 3 साल पहले तक इस विद्यालय की स्थिति काफी खराब थी. यहां के बच्चे पढ़ाई में भी काफी कमजोर थे. लेकिन सभी शिक्षकों के प्रयास से यहां के बच्चे अंग्रेजी सीखने लगे. सबसे पहले बच्चे को इंट्रोडक्शन देने की ट्रेनिंग दी गई. आज ये बच्चे फर्राटेदार अंग्रेजी में अपना इंट्रोडक्शन देते हैं. उन्होंने बताया कि प्रतिदिन अटेंडेंस लेने के बाद बच्चों को सेल्फ इंट्रोडक्शन की प्रैक्टिस कराई जाती है. यह प्रक्रिया क्लास वन से लेकर क्लास 8 तक के सभी बच्चों के साथ अपनाई जाती है. यही वजह है कि आज इस स्कूल के बच्चों का बौद्धिक विकास हो रहा है.