आज हम आपको बताने जा रहे हैं एक ऐसे शिक्षक के बारे में जो गुरु दक्षिणा के नाम पर लेते हैं मात्र 11 रुपया और उनके सैकड़ों छात्र आज की तारीख में आईपीएस अधिकारी और दारोगा हैं।
जहां प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी के लिए कोचिंग संस्थान लाखों की फीस वसूलते हैं। वहीं, पटना के नया टोला में अदम्य अदिति गुरुकुल संस्थान है जो ग्यारह रुपया गुरु दक्षिणा लेकर छात्रों को दारोगा से लेकर आईएएस और आईपीएस बनाता है।
गुरुकुल की सबसे बड़ी खासियत ये है कि यहां अन्य कोचिंग संस्थानों की तरह फीस के नाम पर भारी-भरकम रकम की वसूली नहीं की जाती, बल्कि छात्र-छात्राओं से गुरु दक्षिणा के नाम पर महज 11 रुपये लिए जाते हैं। पटना के नया टोला इलाके में अदम्य अदिति गुरुकुल की स्थापना करने वाले गुरुदेव हैं रहमान गुरु जी।
गुरु रहमान एक मुसलमान हैं लेकिन मुसलमान होने के बावजूद वेद के ज्ञाता हैं। उनके गुरुकुल में वेद की पढाई भी होती है। साल 1994 में गुरुकुल की स्थापना करने वाले रहमान गुरुजी के यहां यूपीएससी, बीपीएससी और स्टॉफ सलेक्शन की तैयारी कराई जाती है।
साल 1994 में जब बिहार में 4 हजार दारोगा की बहाली निकली थी उस दौरान इस संस्थान में पढ़ाई कर रहे 1100 छात्रों को कामयाबी मिली थी। इस कामयाबी के बाद से तो मानो इस संस्थान ने कभी पीछे मुड़कर देखा ही नहीं।
अब आप सोच रहे होंगे कि सिर्फ 11 रुपये गुरुदक्षिणा लेने वाले गुरु रहमान के संस्थान का खर्च कैसे निकलता होगा। इस बारे में रहमान गुरु जी कहते हैं कि प्रत्येक साल सैकड़ों छात्रों को कामयाबी मिलती है और उन कामयाब छात्रों के अनुदान से सबकुछ संभव हो पा रहा है।
आज आलम ये है कि यहां सिर्फ बिहार और झारखंड के लड़के ही नहीं बल्कि उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और मध्य प्रदेश के भी छात्र पढ़ाई करने आ रहे हैं। गुरु रहमान का कहना है कि गरीब छात्रों को उनके मंजिल तक पहुंचाना ही उनके जीवन का लक्ष्य है।
11 से बढ़कर 21 या फिर 51 रुपये फीस देकर ही गुरुकुल से अब तक ना जाने कितने छात्र-छात्राओं ने भारतीय प्रशासनिक सेवा से लेकर डॉक्टर और इंजीनियरिंग तक की परीक्षाओं में सफलता हासिल की है। 1994 में जब बिहार में चार हजार दरोगी की बहाली के लिए प्रतियोगिता परीक्षा आयोजित की गई थी तो उस परीक्षा में गुरुकुल से पढ़ाई करने वाले 1100 छात्रों ने सफलता हासिल की थी जो एक रिकॉड है।
पटना के नया टोला में चलने वाले गुरुकुल में ऐसा नहीं है कि सिर्फ बिहार के छात्र पढ़ते हैं बल्कि गुरुकुल में झारखंड, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश जैसे राज्यों से भी छात्र आकर गुरु रहमान से टिप्स लेते हैं।
गुरुकुल में हर साल प्रतियोगिता परीक्षाओं के परिणाम निकलने के समय जश्न का माहौल रहता है। ऐसी एक भी प्रतियोगिता परीक्षा नहीं होती जिसमें गुरुकुल से दीक्षा हासिल किए छात्र सफलता नहीं पाते हों।
गुरुकुल के संचालक मुस्लिम समुदाय के हैं, इसके बाबजूद रहमान को वेदों का अच्छा ज्ञान है। गुरुकल में वेदों की भी पढ़ाई होती है। रहमान एक गरीब परिवार से हैं यही कारण है उन्हें गरीब छात्र-छात्राओं की दर्द का एहसास है।
गरीब छात्रों को ही ध्यान में रखकर रहमान ने गुरुकुल की शुरुआत की थी। रहमान का मानना है कि गरीबी का मतलब लाचारी नहीं होता बल्कि गरीबी का मतलब कामयाबी होता है। जिसे जिद और जुनून से हासिल किया जा सकता है। जो गुरुकुल में पढ़ने वाले छात्र करते हैं।