मुज़फ़्फ़रपुर जिले के मोतीपुर प्रखंड अंतर्गत डकही गांव की गुड्डी ने इसे साबित कर दिखाया है। 6 वर्ष की उम्र में सिर से माता-पिता का साया उठ जाने के बाद एक रिश्तेदार ने शरण भी दी तो घास काटने में लगा दिया। उस कार्य काे भी मन से अंजाम देने लगी। लेकिन, लक्ष्य कुछ और था। हौसले साथ। पढ़ाई और कराटे को भविष्य बनाई। प्रखंड से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक प्रथम स्थान पाईं।
आज यह चैंपियन कस्तूरबा विद्यालयों के माध्यम से बिहार के 38 जिलों में लड़कियों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए कराटे का प्रशिक्षण दे रहीं। फिलहाल इंटर में पढ़ रही। आईपीएस अफसर बन गरीबों का हमकदम बनना चाहती हैं। वाकई यह लड़की उन सबके लिए प्रेरणास्रोत है जो अभावों का रोना रोते हैं।
गुड्डी के पिता रामाशीष भगत की मौत 2005 में हो गई थी। मां गुड्डी और उसकी छोटी बहन को लेकर मायके चली गई। छह माह में वह भी चल बसीं। छह वर्ष की गुड्डी ने मुखाग्नि दी।