बिहार में कोरोना काल में सीबीएसई परीक्षार्थियों को ग्रेस का जमकर लाभ मिला है. राज्य के सीबीएसई स्कूलों में 4655 परीक्षार्थी ग्रेस अंक के जरिये पास हुए है. स्कूल रिजल्ट कमेटी ने 665 स्कूल के परीक्षार्थियों को पांच अंक तक ग्रेस दिया है जिसके बाद पासिंग परसेंटेज में इजाफा हुआ है. ग्रेस अंक नहीं देने से 665 स्कूलों के 12वीं में बड़ी संख्या में परिक्षार्थी फेल हो रहे थे जिसे मॉडरेशन पॉलिसी के तहत ग्रेस अंक देकर 12वीं पास कराया गया है.
बताते चलें कि सीबीएसई ने यह फैसला भले ही नियमों के अनुकूल लिया है लेकिन 11वीं में भी बोर्ड के बड़ी संख्या में परीक्षार्थी फेल हो गए थे जिन्हें सीधा ग्रेस अंक का लाभ मिला है. राज्य में कुल सीबीएसई के मान्यता प्राप्त 1101 स्कूलों में 547 ऐसे स्कूल हैं, जहां 11वीं की वार्षिक परीक्षा में 4376 छात्रों को ग्रेस अंक दिया गया है. आंकड़ों पर गौर करें तो ज्यादातर स्कूलों में आठ से दस छात्र 11वीं में फेल थे, लेकिन 2020 के कोरोना संक्रमण के कारण इन्हें अगली कक्षा में प्रमोट कर दिया गया था.
अब इन छात्रों को ग्रेस अंक दिया गया है, जिससे उनका 30 फीसदी अंक 12वीं के रिजल्ट में जुड़े. जानकारी देते चलें कि कोरोना की वजह से इस बार 12वीं बोर्ड की परीक्षा नहीं ली गई. ऐसे में बोर्ड ने नए तरीके से पहली बार रिजल्ट जारी किया है. बोर्ड के मुताबिक 11वीं की परीक्षा का 30 फीसदी और 12वीं का 40 फीसदी अंक का वेटेज दिया जाना है.
सीबीएसई ने स्कूलों से रिजल्ट तैयार करने की पूरी जानकारी मांगी है. सभी स्कूलों को ग्रेस अंक का पूरा ब्योरा भेजने को कहा है. इससे ये पता चल पाएगा कि किस स्कूल ने कितना ग्रेस अंक देकर पास किया है, इसकी जानकारी स्कूलों से मांगी गयी है. वहीं एक जुलाई से बोर्ड ने निर्देश दिया है कि अंक अपलोड का काम शुरू करें. अंक अपलोड का काम शुरू हो चुका है.