पटना : शराबबंदी के बाद शहर में लिवर, सड़क दुर्घटना और ह्दय रोग के मरीजों की संख्या में भारी गिरावज दर्ज की गयी है। ऐसा नशे की हालत में गाड़ी चलाने वालों की संख्या में कमी के कारण हुआ है।
स्वास्थ्य विभाग व डॉक्टर एसोसिएशन की और से किये गये सर्वे के आंकड़ों के मुताबिक लिवर और दुर्घटनाओं में चोटिल होकर आने वाले मरीजों की संख्या में पिछले साल की तुलना में इस साल 50 प्रतिशत की कमी आई है। हालांकि पिछले साल भी मरीजों की संख्या कम थी, लेकिन पिछले साल का आंकड़ा 65 प्रतिशत था। वहीं पीएमसीएच, आईजीआईएमएस के इमरजेंसी व हड्डी विभाग में हेज इंज्यूरी, न्यूरो व चेस्ट और लिवर के मरीज न के बराबर दिख रहे हैं।
शराब के अधिक सेवन करने से इसका असर लिवर पर पड़ता है। नतीजा लिवर में सूजन और फेट की समस्या देखने को मिलती थी। शराबबंदी से पहले अकेले आईजीआईएमएस में 120 से 130 मरीज आते थें। लेकिन शराबबंदी के बाद आधे से भी कम मरीज हो गये । आकड़ों के अनुसार लिवर की बीमारी में करीब 25 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई है। ऐसे में लिवर से जुड़े ऑपरेशन में भी कमी आई है। करीब 15 प्रतिशत का लिवर की बीमारी घटी है।
आंकड़ों में सबसे ज्यादा गिरावट सड़क दुर्घटना और हार्ट आटैक बीमारी में दर्ज की गई है। शराब के सेवा से हाइपर टेंशन और हार्ट आटैक की समस्या लोगों में अधिक देखने को मिल रही थी। आईजीआईएमएल के फिजियोथेरेपी विभाग के डॉ. रत्नेश चौधरी ने बताया कि शराबबंदी के बाद दुर्घटनाओं के ग्राफ में काफी कमी आई है। नशे के कारण सड़क दुर्घनाओं में हड्डी विभाग में मरीज अधिक होते थे। लेकिन अब हमारे विभाग में 20 प्रतिशत तक मरीजों की कमी आई है।