लोगों की परेशनी पर भगवान बहाने लगते हैं आंसू, शांत कराने के लिए किया जाता है हवन

आस्था

पटना: हिमाचल प्रदेश के चप्पे-चप्पे पर देवी देवताओं का वास है। देवभूमि के नाम से विख्यात इस प्रदेश में देवी देवताओं से कई रोचक बातें भी जुड़ी हुई हैं।

ऐसी ही एक रोचक कड़ी शक्तिपीठों में से एक बज्रेश्वरी देवी माता मंदिर कांगड़ा से भी जुड़ी है। इस मंदिर में देवी के साथ भगवान भैरव की भी एक चमत्कारी मूर्ति है। कहते हैं जब भी इस जगह पर कोई मुसीबत आने वाली होती है तो भैरव की मूर्ति से आंसू और पसीना बहने लगता है। स्थानीय लोगों के अनुसार, यहां पर ये चमत्कार कई बार देखा है।

यहां गिरा था देवी सती का दाहिना वक्ष
कांगड़ा का बज्रेश्वरी शक्तिपीठ देवी के 51 शक्तिपीठों में से मां की वह शक्तिपीठ हैं जहां सती का दाहिना वक्ष गिरा था और जहां तीन धर्मों के प्रतीक के रूप में मां की तीन पिंडियों की पूजा होती है। मंदिर के गर्भगृह में प्रतिष्ठित पहली और मुख्य पिंडी मां बज्रेश्वरी की है। दूसरी मां भद्रकाली और तीसरी और सबसे छोटी पिंडी मां एकादशी की है।

विपत्ती आने पर मूर्ति से बहने लगते हैं आंसू
मंदिर परिसर में ही भगवान लाल भैरव का भी मंदिर है। यहां विराजे भगवान लाल भैरव की यह मूर्ति करीब पांच हजार वर्ष पुरानी बताई जाती है। कहते हैं कि जब भी कांगड़ा पर कोई मुसीबत आने वाली होती है तो इस मूर्ति की आंखों से आंसू और शरीर से पसीना निकलने लगता है। तब मंदिर के पुजारी विशाल हवन का आयोजन कर मां से आने वाली आपदा को टालने का निवेदन करते हैं और यह बज्रेश्वरी शक्तिपीठ का चमत्कार और महिमा ही है कि आने वाली हर आपदा मां के आशीर्वाद से टल जाती है। बताया जाता है कि ऐसा यहां कई बार हुआ है।

कई बार देखा गया है भैरव मूर्ति का चमत्कार
स्थानीय लोगों के अनुसार, भैरव की यह मूर्ति बहुत पुरानी है। कहते हैं कि वर्ष 1976-77 में इस मूर्ति में आंसू व शरीर से पसीना निकला था। उस समय कांगड़ा बाजार में भीषण अग्निकांड हुआ था। काफी दुकानें जल गई थीं। उसके बाद से यहां ऐसी विपत्ति टालने के लिए हर वर्ष नवंबर व दिसंबर के मध्य में भैरव जयंती मनाई जाती है। उस दौरान यहां पाठ व हवन होता है। यह मूर्ति मंदिर परिसर में प्रवेश करते ही बाईं तरफ है।

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