बिहार में आज शादी को लेकर लड़कियों की सोच बहुत बदल गई है। कल तक जहां लड़कियां ‘जैसा भी है, मेरा पति मेरा देवता’ है कि तर्ज पर अपने माता-पिता की पसंद के लड़के के साथ परिणय सूत्र में बंध जाती थी, वहीं अब समय बदल गया है। लड़कियां पसंदीदा हमसफर नहीं मिलने पर आसानी से ‘ना’ कह रही हैं।
यह स्थिति न केवल शहरों बल्कि सुदूरवर्ती गांवों में भी देखी जा रही है। इस बीच सरकार ने दहेज और बाल विवाह जैसी सामाजिक बुराइयों को लेकर कई कदम उठाने की घोषणा की है।
अपने फैसलों को सही ठहरा रही लड़कियां…
ऐसे में बिहार की लड़कियां भी इन सामाजिक बुराइयों को लेकर ‘ना’ कहकर अपने जीवनसाथी को मन मुताबिक चुनने का हक मांगने को लेकर आगे आई हैं। आज लड़कियां अपनी पसंद का लड़का नहीं होने पर न केवल दरवाजे पर आई बारात लौटा रही हैं, बल्कि विवाह मंडप में भी लड़कों को नापसंद कर अपने निर्णय को सही ठहरा रही हैं।
…तो, इस वजह से दुल्हन ने शादी करने से मना कर दिया