पूर्णिया के युवा किसान भी अब पढ़ लिख कर खेती करने में ज्यादा दिलचस्पी रखने लगे हैं. ऐसा ही एक युवा किसान जिन्होंने अपनी पढ़ाई पूरी होने के बाद पारंपरिक खेती को छोड़ पिछले तीन वर्षों से मूंगफली की खेती करता आ रहा है. और कम लागत और कम मेहनत के साथ दोगुना मुनाफा भी कमा रहा है.
अन्य जिलों में देख अपने खेतों में की शुरुआत
पूर्णिया हरदा कवैया के किसान युवा प्रदीप कुमार यादव कहते हैं कि वह पिछले तीन वर्षों से मूंगफली की खेती करते आ रहे हैं. हालांकि उन्होंने कहा कि उनके मन में यह ख्याल तब आया जब वह अपने पूर्णिया जिला से बाहर अन्य दूसरे जिला में घूमने गए थे. उन्होंने वहां के स्थानीय किसानों को देखा तो उन्होंने मूंगफली की खेती वृहद पैमाने पर किया था. जिसे देखकर उन्होंने कहा की मूंगफली की खेती करने का शौक जगा.
मूंगफली की खेती करना सबसे आसान है. हालांकि मूंगफली की खेती करने के लिए बालू वाली मिट्टी की जमीन और ऊंचा जगह होना बहुत जरूरी होता है. जिससे मूंगफली का बेहतर उत्पादन होता है. मूंगफली की खेती करने के लिए खेतों को एक से दो बार जुताई कर हल्की नमी के साथ खेतों में मूंगफली के बीज को बोया दिया जाता है. जिसके बाद उनके पौधे आने पर उन्हें समय-समय पर बहुत कम सिंचाई कर छोड़ देनी पड़ती है. जिसके बाद तकरीबन 3 से साढ़े तीन महीने में मूंगफली आसानी से पौधों में तैयार हो जाता है. फिर मजदूरों के द्वारा जिस तरह आलू को खेतों से निकाला जाता है. इस तरह मूंगफली को भी खेतों से निकाला जाता है. सुखाकर साफ-सफाई के बाद व्यापारियों को आसानी से बेच देते हैं.
इतना कम लागत और बेहतर मुनाफा
किसान प्रदीप कुमार यादव कहते हैं कि तीन एकड़ में पिछले 3 वर्षों से मूंगफली की खेती करते आ रहे हैं. कम लागत में बेहतर मुनाफा हो रहा है. साथ ही साथ उन्होंने कहा कि उन्हें मूंगफली की खेती करने में तकरीबन 30000 की लागत आई, लेकिन अच्छी उपज होने के कारण 55000 प्रति एकड़ की दर से फायदा आसानी से हो जाता है.मूंगफली की खेती करने के बाद जब मूंगफली बेचने को जाते हैं तो उन्हें स्थानीय बाजार और व्यापारियों के द्वारा लगभग ₹5000 प्रति क्विंटल की दर से आसानी से कीमत मिलती है.