मिथिलांचल का मुख्य केंद्र कहा जाने वाला दरभंगा में ज्यादातर किसान रवि की फसल पर आश्रित होते हैं, उसमें भी खासतौर पर गेहूं की फसल प्रमुख माना गया है. क्योंकि यहां बाढ़ ग्रसित क्षेत्र है. दरभंगा का अधिकांश इलाका बाढ़ से प्रभावित रहता है. जिस वजह से खरीफ की फसल ना के बराबर उन क्षेत्रों में हो पाती है.
अगेती गेहूं से नहीं होगा नुकसान
ऐसे में अगर पीछात गेहूं की फसल किसान करते हैं तो ओला वृष्टि से काफी क्षति पहुंचने की आशंका बनी रहती है. जलवायु परिवर्तन को देखते हुए बारिश से भी किसानों को काफी नुकसान होता है, लेकिन वही किसान अगर अगात गेहूं की बुवाई करते हैं तो बारिश और ओलावृष्टि दोनों से किसान अपनी फसल को बचा सकते हैं. सही समय पर भंडारण करके अच्छी मुनाफा भी कमा सकते हैं.
वहां के किसान रवि की फसल पर पूर्णतः निर्भर रहते हैं. ऐसे में सबसे बड़ी चुनौती उन किसानों के लिए होती है कि किस प्रकार से बेहतर ढंग से रवि की फसल की जाए, जिससे कि पूरे साल का जीवन यापन चल सके. क्योंकि रवि की फसल में बरसात और ओलावृष्टि से गेहूं की फसल काफी ज्यादा इन क्षेत्रों में बर्बाद होती है. किसान वैज्ञानिक सलाह मानकर गेहूं की फसल पर अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं.
15 नवंबर से 25 नवंबर के बीच गेहूं की बुवाई करें
इस पर विशेष जानकारी देते हुए डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय में पदस्थापित वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉक्टर ए सत्तार ने बताया कि किसानों को 15 नवंबर से 25 नवंबर के बीच गेहूं की बुवाई कर लेनी चाहिए यह अगात बुवाई होगी और इससे फायदा होगा कि मार्च लास्ट तक जाते-जाते गेहूं की फसल तैयार हो जाएंगे और वह अपने घर में भंडारण कर सकते हैं. क्योंकि अप्रैल में 10 तारीख के बाद से ओलावृष्टि की संभावना ज्यादा हो जाती है.