बिहार में भले क्रिकेट के नाम पर खानापुर्ती की जाती हो लेकिन यहां एक से एक महान क्रिकेटरों ने जन्म लिया है। उन्हीं में से एक हैं दरभंगा के Tariq-ur-Rehman .
उनका जन्म 22 फरवरी 1974 को हुआ था। वे पूर्व प्रथम श्रेणी के क्रिकेटर है, जिन्होंने बिहार के लिए अपना अधिकांश क्रिकेट खेले। उन्होंने एयर इंडिया क्रिकेट टीम के साथ-साथ सऊदी अरब के क्रिकेटरों को प्रशिक्षित किया।
बाएं हाथ के बल्लेबाज और कभी-कभी धीमी गति से बाएं हाथ के ऑर्थोडॉक्स गेंदबाज Tariq-ur-Rehman ने 59 प्रथम श्रेणी और 45 टीमों के लिए सूची ए मैचों का सामना किया। वह 1993/94 और 2002/03 के बीच अपने राज्य बिहार के लिए खेले और एक सीजन असम, त्रिपुरा और झारखंड का भी प्रतिनिधित्व किया।
उन्होंने 3000 से अधिक रन प्रथम श्रेणी में और ए क्रिकेट में 1000 से अधिक रन बनाए। उन्होंने कुछ मैचों में बिहार और त्रिपुरा का भी नेतृत्व किया।
तारिक-उर-रहमान सेवानिवृत्ति के बाद एक क्रिकेट कोच बन गए। उन्होंने बीसीसीआई कॉरपोरेट ट्रॉफी में एयर इंडिया क्रिकेट टीम को प्रशिक्षित किया। इतना ही नहीं वे सऊदी अरब के क्रिकेटरों को प्रशिक्षित कर चुके हैं। उनके ही नेतृत्व में साउदी अरब ने कुआलालंपुर में 2011 के एसीसी अंडर -19 चैलेंज कप जीता।
वरिष्ठ पत्रकार कुमुद सिंह कहती हैं कि दरभंगा में क्रिकेट भले लोग देखते हो, क्रिकेटर को वोट देते हो, फुटवाल और पोलो के मैदान को जबरन क्रिकेट का मैदान बना देते हो..लेकिन क्रिकेटर के नाम पर महज एक खिलाडी ही हुआ और वो है तारिक-उल-रहमान।
तारिक-उल-रहमान को आप यूं नहीं पहचानेंगे, क्योंकि लालू प्रसाद और अली अशरफ फातमी के दरभंगा मॉडूयल में ये फिट नहीं बैठे, वर्ना धौनी और सहवाग के इतिहास से पहले इनका इतिहास लिखा जाता।
माटीवाली पिच पर शहंशाह की तरह खेलनेवाला यह दरभंगी खां संरक्षण के अभाव में दर-दर भटक गये..कभी असम तो कभी झारखंड.
बहरहाल.. इनको पहचानने के लिए आपको क्रिकेटर गौतम गंभीर का पोस्ट नहीं उनका खेल याद करना होगा..जहां तक मुझे पता है दरभंगा के इकलौत क्रिकेटर तारिक-उल-रहमान के शिष्य हैं गौतम गंभीर।