प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के तहत लाभ पाने वाले लोग अपने गैस सिलेंडर को दोबारा रिफिल करने से कतरा रहे हैं। चूंकि उज्ज्वला योजना का लाभ क्षेत्र के ज्यादातर गरीब परिवार के लोगों को दिया गया था। जिससे खाना बनाने में धुंआ न निकले व स्वास्थ्य ठीक रहे। लेकिन लोग एक बार इस योजना के तहत गैस सिलेंडर लेने के बाद अबतक दोबारा रिफिल नहीं करवा सके है।
वजह गैस के दामों में बेतहाशा वृद्धि होना बताया गया। प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना की शुरुआत 01 मई 2016 को हुई थी। इसके तहत रानीगंज क्षेत्र में करीब एक लाख लोगों को गैस का कनेक्शन दिया गया है, लेकिन आलम यह है कि एक लाख कनेक्शन रहने के बावजूद उज्जवला योजना की रिफिलिंग मात्र चार से पांच प्रतिशत होती है। यानी चार से पांच हजार सिलेंडर ही रिफिल होती है।
रानीगंज बाजार के महिमा गैस एजेंसी के मालिक प्रमोद कुमार ने बताया कि जिस समय उज्ज्वला योजना की शुरुआत हुई थी उस समय गैस सिलेंडर के दाम 750 से 800 रुपये तक थे। अभी गैस सिलेंडर के दाम 1103 रुपया है। उन्होंने बताया कि शुरुआत में कुछ महीनों तक लोगों ने रिफिलिंग किया लेकिन गैस के दामों में बढ़ोतरी होने के बाद धीरे धीरे रिफिलिंग कम होते गयी।
दाम बढ़ने के साथ कम होती गयी रिफिलिंग
रानीगंज के ठेकपुरा निवासी सुबोध कुमार, हांसा की रूबी देवी, सुनीता देवी, झबरी देवी, सुलेखा रानी, मैरून निशा, आदि ने बताया कि वे लोग लकड़ी काठी लाकर ही खाना बना लेते है। जितना पैसे में गैस लाएंगे उतने में दस दिन का अनाज आ जायेगा। गैस का दाम 1100 रुपया हो गया है। कहां से लाएंगे इतना पैसा। वहीं लकड़ी से खाना बनाने से लोगों को सांस रोग की समस्या उत्पन्न हो रही है।
क्या कहते हैं डॉक्टर
रानीगंज रेफरल अस्पताल के चिकित्सक डॉ अरविंद कुमार ने कहा कि जलावन के धुआं से फेफड़े की समस्या उत्पन्न हो सकती है। सीने में जलन आदि की समस्या आने लगती है। कुल मिलाकर देखें तो सरकार की महत्वकांक्षी योजना में एक उज्ज्वला योजना धरातल पर खरा नहीं उतर पा रही है।