कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर के दौरान शवों के बड़ी संख्या में गंगा नदी में बहाए जाने की खबर के बाद गंगा के पानी में कोरोना संक्रमण बढ़ने के खतरे की बात उठने लगी थी. इसको लेकर लोगों के मन में भी काफी डर था. वाराणसी के आसपास के लोग गंगा में नहाने और आचमन लेने से डर रहे थे. जिसके बाद पानी को जांच के लिए भेजा गया था.
बाद में गंगा के पानी की जांच की गई और उसकी कोरोना रिपोर्ट नेगेटिव आई है. इसके बाद लोगों के साथ ही वैज्ञानिकों ने भी राहत की सांस ली है. जानकारी के अनुसार बीएचयू के वैज्ञानिकों ने 16 जगहों पर गंगाजल के सैंपल लिए थे और इसको जांचने के लिए लखनऊ के बीरबल साहनी इंस्टिट्यूट ऑफ पैलिओ सांइस भेजा गया था. अब बीरबल साहनी इंस्टीट्यूट से गंगाजल की रिपोर्ट आ गई है और इस बात की पुष्टि हो गई है कि गंगा का जल पहले की तरह ही पूरी तरह से पवित्र है.
एक महीन पहले बीएचयू के वैज्ञानिकों ने गंगा नदी में करीब 16 जगहों पर गंगाजल का सैंपल लिया था. यह सैंपल ऐसी जगहों पर लिए गए थे जहां पर गंगा के पानी में थोड़ा ठहराव यानि एक जगह पर रुका हुआ था. साथ ही उस दौरान लिया गया था जब गंगा नदी में लाशों को बहाया जा रहा था. वैज्ञानिकों ने एक महीने का वक्त लगाकर इसकी बारीकी से जांच की और परिणाम सुखद रहा. हालांकि लंबे समय बाद ही सही लेकिन इस रिपोर्ट ने गंगा प्रेमियों को राहत मिली है. बीएचयू के वैज्ञानिकों के अनुसार गंगाजल में पाए जाने वाले औषधिय गुणों के चलते ऐसा संभव दिख रहा है.
जानकारी के अनुसार सभी सैंपल ऐसी जगहों पर लिए गए थे जहां पर गंगा के पानी में थोड़ा ठहराव था. इसके साथ ही जब पानी में लाशें उतरा रहीं थीं उस दौरान भी गंगाजल के सैंपल लिए गए थे ये जानने के लिए कि कहीं ऐसी जगहों पर कोरोना वायरस का संक्रमण ज्यादा तो नहीं है. अब वैज्ञानिकों की टीम देश की अन्य नदियों के सैंपल लेकर ये पता करेगी कि क्या कोरोना का संक्रमण गंगाजल में किसी विशेष कारण से हुआ, या फिर अन्य नदियों में भी कोई संक्रमण नहीं है. हालांकि इन दिनों गंगा के पानी में शैवाल ज्यादा नजर आ रहे हैं और वैज्ञानिक इस बात की भी जांच में जुटे हैं कि इनका कोरोना वायरस से कोई संबंध तो नहीं है.