छठ को ऐसे ही लोक आस्था का महापर्व नहीं कहा जाता है. छठी मैया आपकी सभी मनोकामना पूरी करती हैं. बस आप श्रद्धा के साथ मानाएं. ये कहना है मोहम्मद गफ्फार का. उनको कभी सभी जगहों पर जाने के बाद भी संतान नहीं हो रही थी. फिर उनको किसी ने कहा कि छठ मैया का व्रत करो या करवाओ. फिर उन्होंने ऐसा ही किया. आज उनके दो बेटे हैं. वह तीन साल क मनोकामना माने हुए थे. पर आज भी वह छठ घाट पर जाकर भगवान सूर्य को अर्घ्य देते हैं.
मोहम्मद गफ्फार कहते हैं कि छठ पर्व के बारे में किसी अन्य ने मुझे बताया था. उन्होंने मुझे सारे नियम और उसको करने की विधि बताई. मैंने नियम पूर्वक इसका पालन किया. आज मेरे दो बेटे हैं. एक 5 साल का दूसरा 4 साल का है. दोनों छठी मैया की कृपा से स्वस्थ और तंदरुस्त हैं. उन्होंने बताया कि मैंने छठ किया नहीं था, करवाया था. पर सारे नियम जो बताए गए उसका पालन निष्ठा पूर्वक किया.
गफ्फार ने बताया छठ महापर्व का महत्व
जानकारी देते हुए मुस्लिम समुदाय से आने वाले मोहम्मद गफ्फार कहते हैं कि वह अपनी शादी के बाद कई साल तक बेटे के लिए तरसते रहे. लेकिन उन्हें बेटा नहीं हो रहा था. इसके बाद किन्हीं से छठ पूजा की जानकारी ली और उनके ही कहने पर छठ घाट पर जाकर भगवान सूर्य देव और छठी मैया से पुत्र मांगा. इसके बाद छठी मैया ने मोहम्मद गफ्फार की पुकार सुन ली. आने वाले अगले साल में ही छठी मैया के कृपा से उन्हें एक नहीं बल्कि दो बेटे हुए. मो. गफ्फार कहते हैं कि उन्हें भगवान सूर्य देव और छठी मैया के इस व्रत पर पूरी तरह से आस्था विश्वास और निष्ठा है. उन्होंने कहा कि उन्होंने अपने बेटे को पाने के लिए कई जगहों पर जाकर मनोकामना मांगी. लेकिन मनोकामना पूर्ण नहीं हुई. जिसके बाद लोगों की बातों में आकर छठ व्रत करने की सोची. पूरी नियम पूर्वक और सच्ची श्रद्धा और निष्ठा से छठ पर्व को मनाया.
आज भी छठी मैया से मांगते है मनोकामनाएं
गफ्फार कहते हैं कि उन्होंने श्रद्धा भक्ति और विश्वास के साथ लगातार 3 साल तक छठ पर्व को मनाया. छठ पर्व में नहाए खाए से लेकर ही अंतिम अर्घ्यसमाप्ति तक पूरी तरह नियम पूर्वक निष्ठा से भगवान सूर्य देव और छठी मैया की पूजा आराधना करता रहा. जिसके बाद डूबते सूरज और उगते सूरज को भी अर्घ्य दिया. इसके बाद मेरी मनोकामना पूरी हुई. इसके बाद उनका और भी विश्वास उस दिन से बढ़ गया. वह कहते हैं कि अभी छठ व्रत का पिछले साल से समापन कर दिया है. लेकिन अभी भी वह छठ पर्व में 5 दिन तक नियम पूर्वक रहते हैं. संध्या अर्घ्य अर्ध्य के समय छठ घाट पर जाकर सूप में अर्ध्य देते हैं और सुबह में भी जाकर छठी मैया को अर्ध्य देकर अपनी और भी मनोकामनाएं मांगते हैं.