भारत के शहरों में तरक्की दिख रही है, लेकिन गांवों में अब भी गरीबी है। गांव के लोगों का जीवन स्तर उन्नत करना होगा। यहां के लोग बड़े मिलनसार हैं। 11,178 किमी की लंबी यात्रा के बाद चंपारण के बगहा के सुदूर देहात में पहुंचे फ्रांस के 30 वर्षीय युवक टोनी मोरूल ने यह बात कही।
खुद से बनाई साइकिल पर सवार मोरूल अपने इस वाहन की खूबियां बड़े उत्साह के साथ बताते हैं। इसमें इन्होंने माइलमीटर लगा रखी है। हालांकि, भाषा की समस्या के कारण अपनी अधिकतर बात वो इशारों में समझा पाते हैं या फिर इन्हें अंग्रेजी में अपनी बात लिखनी पड़ती है।
मधुबनी प्रखंड के डीही गांव के चौराहे पर पहुंचे मोरुल पीने के लिए ठंडा पानी चाहते थे। उनकी बात स्थानीय लोग समझ नहीं पा रहे थे। इसी बीच यूनिसेफ के प्रखंड समन्वयक संतोष राठौर वहां पहुंचे। राठौर ने उनकी बात समझी, फिर तो शीतल जल के साथ भूंजा, चना, मिठाईयां खिलाकर लोगों ने उनका स्वागत किया।
भ्रमण का उद्देश्य बताते हुए मोरुल ने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय मीडिया में भारत के विकास की हो रही चर्चा ने उन्हें वास्तविक स्थिति देखने – समझने के लिए साइकिल से भ्रमण की प्रेरणा दी, ताकि मनचाही जगहों तक आसानी से पहुंचा जा सके। अब तक का अनुभव कैसा रहा? इस सवाल के जवाब में ये कहते हैं कि तरक्की शहरों में दिखाई दे रही है।
गांवों के विकास के लिए अभी प्रयास की जरूरत है। अलबत्ते, देहात के लोगों के मिलनसार स्वभाव के वो कायल हो चले हैं। वे कहते हैं कि गांवों में लोग मेहनती हैं। आखिर नेपाल जाने के लिए अच्छी पक्की सड़क वाली राह उन्होंने क्यों नहीं पकड़ी? यह पूछने पर मोरुल कहते हैं कि अच्छी सड़कों पर चलने का अवसर बहुत मिलेगा।
कच्ची सड़कों के रोड़ों, पत्थरों, मिट्टी पर साइकिल से चलना रोमांचक लगता है। 18 सितंबर, 2016 को अपनी खुद की बनाई साइकिल पर सवार होकर यात्रा पर निकले मोरुल जर्मनी भारत की यात्रा पूरी करने के बाद अब नेपाल जाने की राह में हैं।