राजधानी समेत प्रदेश में प्रदूषण की स्थिति गंभीर होती जा रही है। गुरुवार को राज्य के 17 शहरों में एयर क्वॉलिटी इंडेक्स (एक्यूआइ) 300 के पार रिकॉर्ड किया गया। बेतिया, कटिहार और सिवान में तो प्रदूषण की मात्रा 400 से भी ऊपर चला गया, जो मानव स्वास्थ्य के लिए अत्यंत खतरनाक माना जाता है।
पिछले सप्ताह प्रदूषण की स्थिति में काफी सुधार हुआ था, लेकिन फिर मौसम में बदलाव आया और स्थिति काफी खराब हो गई है। बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अध्यक्ष प्रो. अशोक कुमार घोष का कहना है कि वर्तमान में प्रदूषण की स्थिति हवा की गति पर निर्भर है। अगर वातावरण में हवा की गति तेज होती है तो प्रदूषण की मात्रा में कमी रिकॉर्ड की जा रही है। हवा की गति धीमी हो रही है, तो उसके बाद स्थिति खराब हो जा रही है। उन्होंने कहा कि उम्मीद है कि अगले कुछ दिनों में हवा की गति में तेजी आने से प्रदेश के प्रदूषण में सुधार होगा।
प्रदूषण के कारण बढ़ रही एलर्जी की समस्या
पीएमसीएच के वरिष्ठ हार्ट रोग विशेषज्ञ डॉ. अशोक कुमार का कहना है कि प्रदूषण के कारण एलर्जी की समस्या तेजी से बढ़ रही है। एलर्जी के कारण ही बार-बार सर्दी-खांसी की समस्या हो रही है। इसके अलावा दम फूलने और सांस लेने में परेशानी की समस्या भी लोगों में देखी जा रही है।
वहीं, पीएमसीएच के शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. राकेश कुमार शर्मा का कहना है कि बच्चों में भी एलर्जी की समस्या देखी जा रही है। बच्चों में हांफने की समस्या तेजी से बढ़ रही है।
क्या है प्रदेश में प्रदूषण की वजह
- पटना शहर के उत्तरी हिस्से में औसत चार किलोमीटर तक गंगा नदी फैली रेत है।
- नगर निगम क्षेत्र में निर्माण एवं विध्वंस कार्य स्थल जहां सतत पानी का छिड़काव नहीं होना।
- खुले में कचरे को जलाने, लकड़ी और कोयले पर खाना बनाने पर कोई नियंत्रण नहीं।
- रोक के बाद भी 15 साल पुरानी खटारा गाड़ियों का सड़क पर दौड़ना जारी है।
- बड़े-छोटे नाले का कचरा निकालकर सड़क पर छोड़ने की आदत में सुधार नहीं।
- बिना ग्रीन चादर से ढके पुराने मकान को तोड़ने और निर्माण कार्य जारी रखना।
- ट्रक-टैक्टर पर बिना ढके कचरा, बालू-मिट्टी की ढुलाई कार्य पर रोक का इंतजाम।
- जैव चिकित्सा अपशिष्ट का संग्रह नहीं कर कहीं भी जला देना।