भारत विवधताओं का देश रहा है। इसके साथ ही अगर मिथिलांचल की बात करें तो मिथिला परंपराओं और मान्यताओं की धरती मानी जाती है। इस धरती पर व्रत-त्योहारों का अपना खास महत्व रहा है। ऐसे ही आस्था, श्रद्धा और पुत्र की लंबी उम्र के लिए माताएं जितिया या जीवित्पुत्रिका का निर्जला व्रत करती हैं। वैसे तो ये व्रत पूरे देश में मनाया जाता है लेकिन मिथिला में इसका खास महत्व है।
इस व्रत को महिलाएं अपनी संतान की मंगल कामना लंबी उम्र और तरक्की के लिए करती हैं। यह व्रत 3 दिनों का होता है। सबसे खास बात ये है कि इस व्रत पूरी तरह से निर्जला होता है। इसमें पानी भी निषेध होता है। यहां तक की मुंह में पानी तक ले नहीं सकते हैं। यह व्रत अश्विन महीने की सप्तमी से नवमी तक किया जाता है।
अगल-अलग जगहों पर इस व्रत की विधियों में थोड़ा सा अंतर भी आता है। कई जगह पर सिर्फ यह व्रत अष्टमी को ही किया जाता है। 3 दिनों तक चलने वाला यह व्रत कैसे मानाया जाता है? इस व्रत में क्या सब नहीं करना होता है? इस व्रत को करने के लिए क्या सब जरूरी बातें समझनी होती है? इन सभी चीजों की जानकारी हम आपको दे रहे हैं।
व्रत का पहला दिन यानि की नहाय-खाय
इस व्रत के पहले दिन नहाय-खाय होता है। इस दिन महिलएं सुबह उठकर पूजा-पाठ करती हैं। साथ ही दिन में एक बार भोजन करती हैं और फिर पूरे दिन कुछ भी नहीं खाती हैं। खाना भी अरवा होता है। प्याज, लहसुन और अन्य तरह की चीजों को इस भोजन में शामिल नहीं किया जाता है। इस भोजन के बाद से ही व्रत की शुरुआत होती है।
व्रत का दूसरा दिन
व्रत का दूसरा दिन सबसे कठिन माना जाता है। इस दिन महिलाएं कुछ भी नहीं खाती हैं। यहां तक की मुंह धोनों के लिए पानी तक मुंह में नहीं लेती है। पूरी तरह से निर्जला व्रत होता है।
व्रत का तीसरा दिन
यह इस पर्व का आखिरी दिन होता है। इस दिन व्रती पारण करती हैं यानि की अपना व्रत तोड़ती हैं। इस दिन बहुत सी चीजों का सेवन किया जाता है। इस दिन खासकर नोनी का साग, मडुआ की रोटी और झोर भात सबसे पहले भोजन के रूप में दिया जाता है।
2017 में जितिया पर्व का मुहूर्त
2017 में यह व्रत 12 सितंबर यानि की मंगलवार से शुरू हो कर 14 सितंबर यानि की गुरुवार तक चलेगा। 14 सितंबर को पारण होगा। इसका समय 13 सितंबर 01:00 से 14 सितंबर 10:47 तक होगा।
जितिया व्रत के निमय
इस व्रत को करने वाले व्रत शुरू करने से पहले सूर्योदय से पहले कुछ खा पी सकते हैं लेकिन सूर्योदय के बाद कुछ भी खाना-पीना मना हो जाता है। इसके बाद कुछ भी नहीं खा सकते हैं, यहां तक की पानी पीना भी वर्जित माना गया है। सूर्योदय से पहले जो आप खाना ग्रहण करेंगे उसमें सिर्फ मीठा होना चाहिए। खट्टा या तिखा खाना बिलकुल माना होता है। पारण के वक्त ही आप खा सकते हैं। पारण के बाद ये व्रत खत्म होता है।