अब तक आपने बहुत से किसानों की सक्सेस स्टोरी देखी और पढ़ी होगी. आपको बता रहा है ऐसे किसान की कहानी जिसने मल्टीनेशनल कंपनी की नौकरी छोड़ किसानी शुरू की और इलाके के लोगों के लिये मिसाल बन गया.
बात हो रही है किसान ललित की जो अमरूद की खेती कर मालामाल हो गये हैं. ललित अपने पिता के देहांत के बाद नौकरी छोड़ कर गांव आये और अमरूद की खेती शुरू की. ललित ने 12 बीघे में अमरूद की खेती की और आज 1200 पेड़ों के मालिक हैं.
पांच साल की मेहनत का नतीजा है कि उन्हें इस बगीचे से लाखों की आमदनी होने लगी. यहां के अमरूद को बिहार और बाहर के लोग भी पसंद करने लगे हैं. 40 वर्षीय ललित ने बताया कि उन्हें बचपन से ही बागवानी का शौक था, लेकिन गरीबी खेती में बाधक बनती थी. पढ़ाई-लिखाई के बाद ललित रोजगार की तलाश में मुंबई निकल गये जहां 8 साल तक मल्टीनेशनल कंपनी में नौकरी की.
पिता की मौत के बाद गांव आते ही नौकरी के पैसे से बागवानी शुरू की. बागवानी के लिये उन्होंने नौकरी भी ठुकरा दी. मेहनत रंग लाई और आज अमरूद की कमाई से लाखों का मालिक बन गये. हाईटेक खेती की कमाई से ललित ना सिर्फ पैसे कमा रहे हैं बल्कि गांव के बेरोजगारों को अपने बगीचे में रोजगार दे रहे हैं.
ललित ने पहले से आठ गुना ज्यादा कमाई की और मकान बनाया, स्कूल खोलकर गरीब बच्चों को सस्ते दरों में शिक्षा भी दे रहा है. ललित के बगीचे में लखनऊ की वेरायटी एल49, सफेदा, बर्फखाना-शरबती समेत 10 प्रकार के अमरूद मौजूद हैं.
गांव वाले भी मानते हैं कि नौकरी छोड़कर बागवानी करने का फैसला शुरुआत में किसी ने सही नहीं माना था, लेकिन अब लगता है कि ललित की सोच अच्छी थी और यही वजह है कि हर किसी के लिए नजीर बन गए. पहले बिहार में जंदाहा का अमरूद मशहूर था, लेकिन ललित की एक कोशिश से मसौढी भी अमरूद की खेती में पहचान बनाने लगा है.