गया शहर में बहने वाली फल्गु नदी में भी अब पानी आएगा. जी हां, अब यह पानी वाली नदी हो जाएगी और इसके लिए बिहार सरकार ने अपनी कवायद तेज कर दी है. यकीनन इससे फल्गु नदी के किनारे रहने वाले लोग काफी खुश हैं और वो कहते हैं कि नदी में पानी आ जाए तो गया की रौनक ही बदल जाएगी. गया के पास फल्गु नदी में पानी नहीं दिखता बल्कि मीलों बंजर जमीन ही नजर आती है. लेकिन माना जाता है कि इस नदी का पानी लोगों के लिए तारणहार का काम करता है, तभी तो हर हाल पितृपक्ष के मौके पर देश विदेश से लाखों लोग अपने पूर्वजों के पिंडदान और तर्पण के लिए यहां पहुंचते हैं.

क्या है फल्गु को श्राप की कहानी
बिहार के गया समेत कई जिलों में बहने वाली फल्गु नदी को अंतः सलिला यानी धरती के नीचे बहने वाली नदी के रूप में जाना जाता है. इस नदी में ऊपर पानी नहीं दिखता, लेकिन जमीन के नीचे कल-कल बहता पानी नजर आता है. इसके पीछे पौराणिक कथाओं के अनुसार मां सीता के श्राप को कारण बताया गया है. पौराणिक कथाओं के मुताबिक त्रेता युग में जब राम-सीता का जन्म मानव रूप में हुआ था, तब राजा दशरथ के पिंडदान के वक़्त अद्भुत घटना के घटित होने का वर्णन है. राजा दशरथ की मृत्यु के बाद भगवान राम अपने भाई लक्ष्मण के साथ पिंडदान करने गया आए थे. पिंडदान से पहले वह कुछ सामग्री लेने कहीं गए, इस बीच समय निकला जा रहा था, तो पंडितों ने मां सीता को पिंडदान करने की सलाह दी.
बिहार सरकार की कवायद

बिहार सरकार अब फल्गु नदी में पानी लाने की लेकर कवायद कर रही है. जबकि सरकार के जल संसाधन विभाग ने इसका पूरा खाका तैयार कर लिया है. इस योजना को मुख्यमंत्री स्तर पर देखा जा रहा है. विभाग के मुताबिक गया में फल्गु नदी के उपरी से निचली तरफ पानी के बेड को उपर करने के लिए स्टील का सीट पाइल लगाया जाएगा. इससे नदी में एक किलोमीटर तक 4 से 5 फिट तक पानी को उपर रखने की व्यवस्था की जाएगी.
मंत्री ने कही ये बात
संसाधन मंत्री संजय झा ने बताया कि इसको लेकर काम आखरी चरण में है. सरकार जल्द इस पर काम शुरू कर देगी. गया से लोगों की आस्था का जुड़ी है. जबकि इस प्रोजेक्ट को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार खुद देख रहे हैं. सरकार का दावा है कि इस साल के मार्च से इसमें इसका काम शुरू हो जाएगा.

झारखंड से निकलती है फल्गु नदी
गौरतलब है कि फल्गु नदी झारखंड के पलामू से निकलती है और यह बिहार के गया, जहानाबाद होते हुए गया में मिल जाती है. पानी की कमी की वजह से जहानाबाद के बाद इसका स्रोत लगभग खत्म हो गया है. इस नदी पर घोड़ाघाट समेत कई बांध बनाये गयें हैं. इसे निरंजना नदी के नाम से भी जाना जाता है और वायु पुराण में इसकी चर्चा मिलती है.
Sources:-News18.com