नीतीश कुमार इंजीनियरिंग कॉलेज में ‘थ्री इडियट्स’ के तौर पर थे मशहूर ,जानिए- 15 रोचक किस्से

एक बिहारी सब पर भारी

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार मौजूदा सियासत के दौर में हॉट केक हैं। महागठबंधन के चेहरे के तौर पर तो वो पहली पसंद हैं ही। विपक्षी बीजेपी भी उनके साथ अपना भविष्य देखती है। इस बात से भी इनकार नहीं किया जा सकता है कि अगर नीतीश महागठबंधन में बरकरार रहे तो 2019 के लोकसभा चुनाव में वो बीजेपी के विकल्प के रूप में उभर सकते हैं। उनका जीवन सादगीपूर्ण और आदर्शों से भरा रहा है। उनकी ईमानदार छवि ही उनकी यूएसपी है।नीतीश बचपन से ही ना केवल ईमानदार थे बल्कि समाज सुधारक की भूमिका में भी रहे हैं।पटना से 50 किलोमीटर दूर बख्तियारपुर में नीतीश कुमार का जन्म 1 मार्च 1951 को हुआ। पिता रामलखन सिंह वैद्य और स्वतंत्रता सेनानी थे। उन पर गांधी जी के विचारों की अमिट छाप थी। बिहार के बड़े नेता अनुग्रह नारायण सिंह के करीबी भी थे। नीतीश कुमार का घरेलू नाम मुन्ना है। उन्होंने श्रीगणेश उच्च विद्यालय बख्तियारपुर से दसवीं तक की पढ़ाई की। उनके शिक्षक बताते हैं कि नीतीश बचपन से ही पढ़ाई में तेज थे।

 

नीतीश बचपन से ही राजनीतिक तौर पर भी जागरूक थे। उनके एक शिक्षक ने इंडिया टीवी को बताया था कि जब देश के तत्कालीन प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री का निधन ताशकंद में हुआ था तब नीतीश ने रेडियो पर समाचार सुनने के बाद रात के तीन बजे आकर उन्हें यह खबर सुनाई थी।

नीतीश जब दसवीं की बोर्ड परीक्षा दे रहे थे, तब इनवेजिलेटर ने टाइम हो जाने पर उनसे गणित की कॉपी छीन ली थी। इस वजह से नीतीश को गणित में 100 में से 100 नंबर नहीं आ सका था। नीतीश जब बिहार के मुख्यमंत्री बने तब उन्होंने आदेश दिया कि राज्यभर में बोर्ड परीक्षा में परीक्षार्थियों को 15 मिनट का अतिरिक्त समय दिया जाय ताकि किसी को भी अधिक अंक लाने में परेशानी ना हो।

नीतीश कुमार बख्तियारपुर में अपने स्कूल से घर पैदल ही आते-जाते थे। इसके बीच में रेलवे लाइन पड़ता था, जहां घंटों तक माल गाड़ी खड़ी रहती थी। एक बार नीतीश कुमार अपने दोस्तों के साथ माल गाड़ी के नीचे से रेलवे लाइन पार कर रहे थे, तभी माल गाड़ी चल पड़ी। इससे नीतीश घबरा गए थे। वो तुरंत गाड़ी के नीचे से निकल आए। हालांकि, इस घटना में वो बाल-बाल बच गए। नीतीश के दोस्त सरोज कुमार ने इंडिया टीवी को एक इंटरव्यू में बताया था कि जब नीतीश रेल मंत्री बने तो उसी जगह पर उन्होंने फुट ओवर ब्रिज बनवाया ताकि किसी को रेलवे लाइन पार करने में परेशानी ना हो।

नितीश कुमार पुत्र     निशांत का जन्मदिन मनाते हुए

नीतीश कुमार के बचपन के दोस्त रामनमूना सिंह ने इंडिया टीवी को बताया था कि बचपन में नीतीश अपने पैतृक गांव कल्याण बिगहा आया करते थे और यहां खूब गिल्ली-डंडा खेलते थे। जब दोस्तों में खेल-खेल में झगड़ा हो जाता था, तब नीतीश बगीचे में एक पेड़ के नीचे सभी दोस्तों को बैठाकर पंचायत करते थे। नीतीश पंच की भूमिका निभाते थे और सभी दोस्तों में मेल-मिलाप कराते थे।

दसवीं की परीक्षा पास करने के बाद नीतीश ने पटना साइंस कॉलेज में एडमिशन लिया। यहां से इन्होंने आईएससी किया। स्कूल-कॉलेज के दिनों में नीतीश कुमार का शौक फिल्मों में भी था। वो राजकपूर की फिल्में देखा करते थे। उनके दोस्त ने इंडिया टीवी को ही यह बात भी बताई कि बैजंती माला उन्हें अभिनेत्रियों में पसंद थीं। रोमांटिक हीरो के तौर पर राजेन्द्र कुमार और देवानंद को पसंद करते थे।

इंटर पास करने के बाद नीतीश का दाखिला बिहार इंजीनियरिंग कॉलेज में हुआ। यह कॉलेज अब एनआईटी बन चुका है। उनके दोस्त बताते हैं कि इंजीनियरिंग हॉस्टल में रहने के बावजूद नीतीश ने कभी भी शराब या सिगरेट को हाथ नहीं लगाया। उन्हें किसी तरह की बुरी लत नहीं लगी।

1967 बैच में इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग के उनके दोस्त और सवर्ण आयोग के अध्यक्ष रहे नरेंद्र कुमार सिंह ने एक टीवी चैनल को बताया था कि इंजीनियरिंग कॉलेज में थ्री इडियट्स की तर्ज पर उनके भी तीन दोस्त थे। इंजीनियरिंग की पढ़ाई 1972 में पूरा करते ही उन्होंने बिहार राज्य विद्युत बोर्ड में नौकरी की। फिर 22 फरवरी 1973 को नीतीश की शादी मंजू कुमारी सिन्हा से हो गई। मंजू कुमारी सिन्हा एक शिक्षिका थीं, जिनका 2007 में असामयिक निधन हो गया। इस दंपत्ति का एक बेटा है, उसका नाम निशांत है। निशांत भी इंजीनियर है। नीतीश में समाज सुधारक की छवि युवा अवस्था से ही थी। उन्होंने शादी में स्वेच्छा से दहेज के तौर पर मिल रहे बाइस हजार रुपये ससुराल वालों को ही लौटा दिए थे। धूमधाम से शादी करने की बजाय उन्होंने कोर्ट मैरिज की थी।

पत्रकार संकर्षण ठाकुर की किताब ‘सिंगल मैन: द लाइफ एंड टाइम्स ऑफ नीतीश कुमार ऑफ बिहार’ के मुताबिक नीतीश ने बिहार राज्य विद्युत बोर्ड में नौकरी छोड़कर राजनीति की राह पकड़ ली। 1974 में युवा नीतीश जयप्रकाश नारायण से जुड़ गए और जेपी आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। 1974 से 1977 के बीच वो उस समय के कद्दावर नेता सत्येन्द्र नारायण सिंह के काफी करीब आ गए। 1985 में नीतीश कुमार ने पहली बार बिहार विधान सभा का चुनाव हरनौत सीट से जीता।

नीतीश कुमार के राजनीतिक दोस्तों ने बताया कि 1985 में पहली बार विधायक बनने से पहले नीतीश कुमार का जीवन काफी संघर्षपूर्ण रहा है। धनाढ्य परिवार से नहीं होने की वजह से उन्हें आर्थिक परेशानियां भी उठानी पड़ीं। हालांकि, तब उनके कई दोस्तों ने उन्हें कई तरह से मदद की थी।

1989 में नीतीश केंद्रीय राजनीति में सक्रिय हुए। उसी साल कांग्रेस के खिलाफ जनता दल का गठन हुआ। तब नीतीश जनता दल के महासचिव बनाए गए। उसी साल नौवीं लोकसभा के चुनाव में नीतीश ना सिर्फ बाढ़ से लोकसभा सांसद चुने गए बल्कि वीपी सिंह की सरकार में केन्द्रीय कृषि राज्य मंत्री भी बनाए गए। 1991 में चंद्रशेखर की सरकार गिरने के बाद दसवीं लोकसभा के चुनाव में भी नीतीश बाढ़ से सांसद चुने गए। उन्होंने साल 2004 तक बाढ़ से सांसद रहे।

नितीश कुमार अपनी पत्नी के साथ

एनडीए के शासन काल में भी नीतीश अटल बिहारी वाजपेयी के मंत्रिमंडल के सदस्य रहे। इस दौरान वो भूतल परिवहन मंत्री, कृषि मंत्री, फिर रेल मंत्री बने। नीतीश साल 1998 से 1999 तक रेल मंत्री रहे। पश्चिम बंगाल के गैसल में हुई रेल दुर्घटना पर उन्होंने रेल मंत्री से इस्तीफा दे दिया था। बाद में वो साल 2001 से लेकर 2004 तक वाजपेयी सरकार में दोबारा रेल मंत्री रहे। बीच में साल 2000 में कुछ दिनों के लिए वो पहली बार बिहार के मुख्यमंत्री भी बने।

1990 में जब लालू यादव बिहार के मुख्यमंत्री बने थे, तब नीतीश के साथ उनकी दोस्ती बहुत गाढ़ी थी। तत्कालीन प्रधानमंत्री वीपी सिंह रामसुंदर दास को सीएम बनवाना चाहते थे तब शरद यादव और नीतीश कुमार ने उप प्रधानमंत्री देवीलाल से मिलकर लालू को मुख्यमंत्री बनवाया था। बाद में इन नेताओं के बीच रिश्तों में खटास आ गई।

नीतीश ने 1994 में जॉर्ज फर्नांडीस के साथ मिलकर समता पार्टी बना ली थी। लालू ने 1997 में राष्ट्रीय जनता दल बना लिया। शरद यादव जनता दल में ही रहे। बाद में साल 2003 में समता पार्टी का विलय जनता दल में हो गया और पार्टी का नाम जनता दल यूनाइटेड हो गया। तब से नीतीश-शरद की जोड़ी बरकरार है। कभी-कही उनके बीच भी मन-मुटाव की बातें सामने आती रहती

24 नवंबर, 2005 को नीतीश बिहार के मुख्यमंत्री बने। सीएम बनने के बाद नीतीश ने पूरे बिहार के साथ-साथ अपने पुश्तैनी गांव का भी विकास किया है। वहां की सड़कें अब अच्छी हैं। स्कूल, आईटीआई कॉलेज, अस्पताल के अलावा वहां शूटिंग रेंज भी है।

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