बिहार का नवादा जिला साइबर अपराध मामले में देश का दूसरा जामताड़ा बनता जा रहा है। लाखों-करोड़ों की ठगी के मामले में लगातार दूसरे राज्यों की पुलिस नवादा में दस्तक दे रही है। पिछले दो दिनों में राजस्थान के अलावा तेलंगाना की पुलिस लाखों की ठगी मामले में नवादा पहुंच चुकी है और तीन साइबर अपराधियों को गिरफ्तार कर ले जा चुकी है।
इससे पूर्व भी कई राज्यों की पुलिस का नवादा आना-जाना लगा है। पिछले दो वर्षों में तकरीबन 30 बार दूसरे राज्यों की पुलिस नवादा आ चुकी है और 100 के करीब साइबर अपराधियों को गिरफ्तार कर ट्रांजिट रिमांड पर लेकर जा चुकी है। इनमें महाराष्ट्र, दिल्ली, उत्तराखंड, झारखंड, छत्तीसगढ़, हिमाचल प्रदेश, यूपी, केरल, पंजाब और हरियाणा समेत अन्य राज्यों की पुलिस शामिल हैं। प्राय: मामले लोगों को झूठा प्रलोभन देकर विभिन्न बैंक अकाउंटों में रुपये ट्रांसफर कर ठगी करने से जुड़े थे। पिछले दो वर्षों में साइबर अपराध से जुड़ी जिले में करीब 40 बड़ी घटनाएं सुर्खियों में रही।
दो महीनों में दो बार बड़ी कार्रवाई
यों तो जिले में साइबर अपराध का सिलसिला पिछले कई वर्षों से चल रहा है। परंतु पिछले तीन-चार वर्षों में इसने संगठित अपराध का रूप ले लिया। नवादा में बढ़ते साइबर अपराध और दूसरे राज्यों की पुलिस की बढ़ती दबिश को लेकर सरकार के अलावा हाईकोर्ट द्वारा भी पिछले कुछ महीनों में लगातार नवादा पुलिस को हिदायत दी गयी है। इसे लेकर जिले में चलाये जा रहे साइबर अपराध के विरुद्ध
अभियान में दो बड़ी स्ट्राइक पिछले दो माह में की गयी है। जिसमें 50 अपराधियों को रंगेहाथ गिरफ्तार किया जा चुका है। 23 दिसम्बर 2021 को वारिसलीगंज थाना क्षेत्र के चकवाय गांव में की गयी छापेमारी में 17 लोग गिरफ्तार किये गये थे, जबकि 15 फरवरी 2022 को पकरीबरावां थाना क्षेत्र के थालपोस गांव में छापेमारी कर 33 लोगों को रंगेहाथ पकड़ा गया। इनके पास से 46 मोबाइल, 3 लैपटॉप, 2 बाइक, 5 एटीएम कार्ड, 3 स्टाम्प एवं मुहर, 9 रजिस्टर व बड़ी संख्या में प्रिंट डाटा बरामद किया गया।
झांसा देकर जाल में फंसाते हैं अपराधी
अब तक के मामले में गिरफ्तार अपराधियों ने पुलिस के समक्ष स्वीकार किया है कि वे लोगों को फोन पर झांसा देकर अपने जाल में फंसाते थे और उनसे लाखों रुपये धोखाधड़ी कर ठग लेते थे। अपराधियों के मुताबिक लोन दिलाने, मोबाइल टावर लगाने, पेट्रोल पम्प का एजेंसी दिलाने, बजाज इंश्योरेंस, जियो टावर लगाने आदि के नाम पर विज्ञापन एवं लोन दिलाने का प्रलोभन देकर लोगों को अपने जाल में फंसाया जाता है। रजिस्ट्रेशन के नाम पर पांच हजार रुपये से धोखाधड़ी की शुरूआत होती है और धीरे-धीरे उनसे लाखों रुपये विभिन्न बैंक खातों में ट्रांसफर करा लिये जाते हैं। बताया जाता है कि अभ्यर्थियों का नाम व पता अपराधी इंटरनेट के माध्यम से संबंधित साइट से निकाल लेते हैं। साइट पर अभ्यर्थियों का पूरा डिटेल्स रहता है, जिसके कारण अपराधियों को इन्हें जाल में फंसाने में आसानी होती है।
इंजीनियर और छात्र जुड़ रहे अपराध से
हाल के दिनों में कराये जा रहे सर्वे में इस बात का खुलासा हुआ है कि साइबर अपराध के इस धंधे से जुड़ने वालों में इंजीनियर के अलावा कॉलेज व स्कूलों के छात्र बड़ी तेजी से इस धंधे की ओर आकर्षित हो रहे हैं और संगठित अपराध का हिस्सा बन रहे हैं। हाल के दिनों में गिरफ्तार किये अपराधियों के बैक ग्राउंड के आकलन से भी इस बात का पता चला है कि इनमें से अधिकांश लोगों के बैक गाउंड साधारण व किसान परिवार से जुड़े रहे हैं। 15 फरवरी को पकरीबरावां के थालपोस से गिरफ्तार एक अपराधी आईटी इंजीनियर बताया जाता है। वह दिल्ली एनसीआर के गुड़गांव में काम करता था। परंतु इस पेश से जुड़ने के बाद उसने नौकरी छोड़ दी और अपराध की दुनियां में रम गया। वहीं कई गिरफ्तार अपराधी टीनएजर रहे हैं और मैट्रिक तथा अन्य कक्षाओं के छात्र रहे हैं। ईडी व आईटी को सौंपा जा रहा ब्योरा पुलिस गिरफ्तार किये गये साइबर अपराधियों का ब्योरा ईडी और आयकर विभाग को सौंप रही है। ताकि इनके विरुद्ध आय से अधिक संपत्ति का मामला दर्ज कर कार्रवाई की जा सके। सरकार ने अवैध तरीके से अर्जित की गयी साइबर अपराधियों की संपत्ति को जब्त करने का आदेश दिया है।
सुप्रीम कोर्ट द्वारा इस मामले में एसपी को ईडी और आईटी (आयकर) विभाग को ऐसे मामले सौंपने के निर्देश दिये गये हैं। इसके लिए पुलिस को विभिन्न बिन्दुओं पर ब्योरा इकट्ठा करने का निर्देश दिया गया है। इनमें गिरफ्तार अपराधियों का बैक ग्राउंड और हाल के दिनों में अर्जित की गयी संपत्ति का ब्योरा भी शामिल है। नवादा पुलिस साइबर अपराधियों का टाटा बेस तैयार कर रही है। जिसमें साइबर अपराधियों का नाम व पता के अलावा पूरा डिटेल्स होगा।
इससे साइबर अपराध की घटना की जानकारी मिलते ही पुलिस आसानी से इसमें शामिल अपराधियों का पता लगा सकेगी। हाल के दिनों में साइबर अपराध की घटनाओं में आयी तेजी और बाहर की पुलिस जिले में लगातार बढ़ती दबिश के बाद पुलिस इसे कुचलने की पूरी तैयारी कर रही है। नई रणनीति के तहत जिले के सभी थानेदारों को साइबर अपराध की घटनाओं से निबटने के लिए विशेष प्रशिक्षण दिया जा रहा है। हाल ही में पटना की आर्थिक अपराध इकाई (ईओयू) की विशेष टीम द्वारा प्रथम चरण का प्रशिक्षण दिया गया। इस दौरान अपराध होने पर तत्काल पुलिस द्वारा उठाये जाने वाले कदम और अनुसंधान के दौरान फोकस करने वाले बिन्दुओं के बारे में विस्तार से बताया गया।
आर्थिक अपराध इकाई ने दिया है विशेष निर्देश
आर्थिक अपराध इकाई (ईओयू) के एडीजी नैयर हसनैर खां ने हाल में पटना और नवादा समेत छह जिलों के एसपी के साथ आयोजित बैठक में साइबर अपराध को प्राथमिकता पर लेने के निर्देश दिये हैं। नवादा में साइबर अपराध को लेकर विशेष अभियान चलाने के निर्देश दिये गये हैं तथा पुलिस को अन्य जिलों और राज्यों की पुलिस से आपसी समन्वय बनाने पर जोर दिया गया है। हाल के दिनों में ईओयू की नवादा पर खास नजर रही है। पिछले कुछ महीनों में ईओयू की टीम भी कई बार नवादा में दस्तक दे चुकी है। कोरोना संक्रमण काल के दूसरे चरण में रेमडिसिवर इंजेक्शन और ऑक्सीजन सिलिंडर के नाम पर धोखाधड़ी मामले में ईओयू ने स्थानीय पुलिस के सहयोग से वारिसलीगंज व काशीचक थाना क्षेत्रों के अलावा समीपवर्ती नालंदा व शेखपुरा जिले से कई अपराधियों को गिरफ्तार किया है। 16 फरवरी को ईओयू की टीम पकरीबरावां पहुंची और गिरफ़्तार किये गये 33 अपराधियों से पूछताछ की और मामले से संबंधित पूरा ब्योरा जुटाया।