नीतीश कुमार भारत के दूसरे ऐसे नेता हैं जो engineer होने के बाद मुख्यमंत्री बने। पहले engineer मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर हैं। नीतीश कुमार के पिता रामलखन सिंह चाहते थे कि वे डॉक्टर बने। नीतीश के पिता अपने इलाके के प्रतिष्ठित वैद्य थे। आयुर्वेदिक डॉक्टर के रूप में उनकी अच्छी ख्याति थी। इस लिए वे चाहते थे कि नीतीश MBBS डॉक्टर बन कर उनका नाम रौशन करें।
लेकिन नीतीश को बायोलॉजी की बजाय मैथेमेटिक्स में अधिक दिलचस्पी थी। गणित के कठिन सवाल भी वे आसानी से हल कर देते थे। मिडिल स्कूल तक आते आते ये बात साफ हो गयी कि नीतीश गणित के बहुत होशियार हैं। स्कूल के शिक्षक भी नीतीश के पिता से उनकी तारीफ करने लगे। यह देख कर नीतीश के पिता ने उन्हें मैथ स्ट्रीम चुनने की इजाजत दे दी।
नीतीश कुमार के मित्र अरुण सिन्हा ने अपनी पुस्तक- नीतीश कुमार और उभरता बिहार में उनकी शैक्षणिक योग्यता के बारे में विस्तार से लिखा है। नीतीश कुमार जब मैट्रिक की परीक्षा दे रहे थे तब गणित का पर्चा देख कर बहुत खुश हो गये क्यों कि सभी सवालों के उत्तर उन्हें आते थे। जब वे उंतिम सवाल बना ही रहे थे कि परीक्षा खत्म होने की घंटी बज गयी।
समय पूरा हो जाने की वजह से वीक्षक ने उनकी कॉपी ले ली। इस वजह से उनको मैथ में 100 में 100 नहीं आ सका। वैसे मैट्रिक की परीक्षा में वे बहुत अच्छे नम्बरों से पास हुए। बिहार के सबसे प्रतिष्ठित, पटना सायंस कॉलेज में उनका एडमिशन हुआ। तब पटना सायंस कॉलेज में एडमिशन होना बहुत बड़ी उपलब्धि मानी जाती थी।
पूरे राज्य के सबसे मेधावी छात्रों को ही वहां दाखिला मिलता था। यहां से इंटर पास करने के बाद नीतीश कुमार का सपना पूरा हो गया।
नीतीश कुमार को बिहार कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग ( अब NIT) में दाखिला मिल गया। नीतीश कुमार ने electrical engineer की डिग्री ली।
नीतीश कुमार को मैथमेटिक्स में निपुण बनाने का श्रेय उनके शिक्षक जगदीश प्रसाद को जाता है। जब वे बख्तियारपुर के श्रीगणेश हाईस्कूल में पढ़ने के लिए आये तो वे गणित के मशहूर शिक्षक जगदीश प्रसाद के सम्पर्क में आये। जगदीश प्रसाद के बारे में तब ये कहा जाता था कि गणित का चाहे कितना भी कठिन सवाल क्यों न हो, वे उसे चुटकियों में हल कर देते थे।
नीतीश कुमार उनके पढ़ाने के तरीके से बहुत प्रभावित थे। अरुण सिन्हा की किताब में इसका जिक्र है। जगदीश प्रसाद आसपास की चीजों से उदाहरण दे कर बताते थे कि गणित के सवाल को कैसे हल किया जाना चाहिए।
वे कहते थे कि जैसे राजमिस्त्री एक के बाद एक ईंट जोड़ कर घर बनाते हैं उसी तरह गणित के सवाल को भी स्टेप बाई स्टेप बनाना चाहिए। जहां नहीं समझ में आये वहीं रुक कर सोचना चाहिए। इस तरह जगदीश प्रसाद जी ने गणित के सवालों को चरणबद्ध तरीके से सोचने की आदत बना दी।
इस पढ़ाई की ही नतीजा था कि नीतीश मैथ में पारंगत हो गये।
नीतीश को य़े बात हमेशा खटकती थी कि मैट्रिक की परीक्षा में समय पूरा हो जाने की वजह से उन्हें 100 में 100 नम्बर नहीं मिले। इस लिए जब वे मुख्यमंत्री बने तो परीक्षा में छात्रों को सोचने समझने के लिए 15 मिनट का अतिरिक्त समय देने का नियम बना दिया।
प्रतिभावान छात्र होने के बावजूद नीतीश कुमार ने राजनीति को अपना करियर बनाया। वे पिछले 12 साल से बिहार के मुख्यमंत्री हैं।