एक से बढ़कर एक डिजाइन, मिट्टी, फलों के छिलके और गाय के गोबर का इस्तेमाल, जवानों के हाथों पर सजेंगी देसी रखियां

जानकारी

रक्षाबंधन के मौके पर बाजारों में इन दिनों चाइनीज राखियों से लेकर तरह-तरह की राखियां सजी है. लेकिन पूर्णिया के एक चर्चित चित्रकार किशोर कुमार उर्फ गुल्लू दा ने देसी गाय के गोबर, मिट्टी के बर्तन के बुरादे और फलों के छिलके से कई तरह के आकर्षक राखियां बनाई है. खास बात यह कि यह राखियां देश की रक्षा करने वाले हमारे सेना के जवानों के कलाइयों पर सजेंगी.

गुल्लू दा ने बताया कि गोबर के गोइठा को अलग-अलग शेप में काटकर उसको धान से सजाया जाता है. फिर उसमें रंग बिरंगे कलर्स से चित्रकारी की जाती है . गुल्लू दा ने कहा कि हमारे देश में गाय का गोबर और धान को शुभ माना जाता है. ऐसे में उन्होंने जवानों के लिए बिलकुल देसी राखी बनाई है. गुल्लू दा गोबर ने बताया कि उन्होंने अब तक 600 राखियां बनाई है.

गुल्लू दा गोबर के अनुसार मारवाड़ी महिला मंडल द्वारा 1500 राखी का डिमांड की गयी है. यह राखियां मारवाड़ी महिला मंडल के सदस्य देश के रक्षा करने वाले सेना को भेजेंगे. इस बार हमारे सैनिक के कलाई पर यह राखी सजेगी . उन्होंने कहा कि रक्षाबंधन भाई और बहन का पवित्र त्यौहार है. ऐसे में इस तरह की प्राकृतिक और शुद्ध राखी बांधने का एक अलग ही महत्व है.

चित्रकार व गुल्लू दा के शिष्य अनिल चौधरी ने कहा कि गुल्लू दा हमेशा कुछ अलग करते रहते हैं .कबाड़ और वेस्ट सामानों से कुछ ऐसा बनाते रहते हैं जो लोगों को अचंभित करते हैं. इन्हें राष्ट्रीय पुरस्कार भी मिला है . इनमें राष्ट्र की भावना कूट-कूट कर भरी है. तभी तो यह अपने देश के सेना के लिए गाय के गोबर, धान और अन्य प्राकृतिक चीजों से राखी बनाकर सेना को भेज रहे हैं . जो भी गुल्लू दा की कलाकारी को सुनते हैं वह अचंभित हो जाते हैं. और सब के मुंह से निकलता है वाह .

 

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