आस्था के अलग-अलग रूप होते हैं. कोई पूजा भाव तो कोई सेवा भाव के माध्यम से उस रूप को प्रदर्शित करता है. किसी ने सही कहा भगवान के दरबार में जात-पात, धर्म सब कुछ खत्म हो जाता है. वहां सिर्फ भक्त और भगवान का रिश्ता रह जाता है. ऐसा ही एक मिसाल पेश कर रहा है भागलपुर का रहने वाला यह मुस्लिम परिवार. दरअसल, एक मुस्लिम परिवार बाबा बूढ़ानाथ में संगीत की दुनिया में लीन हो जाता है. यह पूरा परिवार तीन पीढ़ियों से बूढ़ानाथ मंदीर प्रांगण में मां दुर्गा के प्रतिमा के सामने जगतजननी को खुश करने के लिए शहनाई वादन करते आ रहे हैं.
शहनाई बजा रहे परिवार के एक सदस्य नजाकत अली ने बताया कि मुझे इस दरबार से बहुत कुछ मिला है. माता रानी ने 100 साल पहले मेरे परिवार की झोली भरी थी. तब से हमलोग इनके चरणों में अपनी कला को दिखाते हैं. यह मुस्लिम परिवार नवरात्रि में सुबह शाम मंदिर में शहनाई बजाते हैं. अपने इस पुरखों की परंपरा को उस्ताद इलिल्ला खान के परिवार ने अभी तक संजोए रखा है. माता रानी के प्रति इन परिवारों की अपार आस्था है. शहनाई की धुन से ही साधक और आसपास के लोग जागते हैं. मानो शहनाई की आवाज से सवेरा हो रहा हो.
आसपास के इलाके होते हैं मंत्रमुग्ध
उस्ताद इलिल्ला खान शहनाई वादन में महारत हासिल कलाकार थे. उन्हें राष्ट्रपति पुरस्कार भी प्राप्त था. आकाशवाणी, दूरदर्शन के भी वह अच्छे शहनाई वादक थे. उन्होंने मां की आराधना में शहनाई वादन कर परंपरा को आगे बढ़ाया और तीन पीढियां के लोग इस परंपरा को जारी रखे हुए हैं. 2017 में उस्ताद इलिल्ला खान के मृत्यु के बाद उसके भाई नजाकत अली, काजिम हुसैन, जहांगीर हुसैन, बड़े बेटे राशिद हुसैन, बहनोई साजिद हुसैन, बड़े भाई जाहिर हुसैन और भतीजा आजम हुसैन ने इस परंपरा को अभी भी बरकरार रखा है. शहनाई वादन के समय राग भैरव, राग भैरवी, राग दुर्गा, राग बागेश्वरी, राग दरबारी जैसे कई रागों से पूरा मंदिर परिसर और आसपास के इलाके मंत्रमुग्ध हो जाते हैं.