द्वापर युग से इस गांव में होती है देवताओं से पहले राक्षसों की पूजा, वजह जान रह जाएंगे भौचक्‍के

खबरें बिहार की जानकारी

बिहार के एक ऐसे गांव की हम बात करने जा रहे हैं जहां देवी-देवताओं से पहले राक्षस की पूजा होती है. यह जानकर आप भी हैरत में पड़ गए होंगे कि आखिर ऐसा कैसे संभव है. दरअसल, यह मामला सीवान जिला के दरौली से जुड़ा हुआ है. यहां दो-चार वर्षो से नहीं बल्कि सदियों से दोन बुजुर्ग गांव में देवी-देवता से पहले राक्षस की पूजा होती है. यह जिला का इकलौता गांव है, जहां राक्षस राज बाणासुर का मंदिर है और वाहन सबसे पहले उनकी पूजा की जाती है. यही वजह है कि यह गांव अद्भुत है.

स्थानीय वकील कुमार के अनुसार द्वापर युग के समय राक्षस राज बाणासुर दोन खुर्द गांव में विश्राम करने के लिए रुके थे. उस समय स्थानीय लोगों ने उनका सेवा सत्कार किया था.जिससे प्रसन्न होकर राक्षस राज बाणासुर ने गांव में शांति, खुशहाली और बरकत का आशीर्वाद दिया था. इसके बाद से हीं गांव वाले राक्षस राज की पूजा शुरू की. उसी समय से देवी-देवताओं से पहले राक्षस राज बाणासुर की पूजा-अर्चना की जो परंपरा चली वह आज भी कायम है. ग्रामीण द्वापर युग से आरंभ राक्षस राज की पूजा की परंपरा निभा रहे हैं.

द्वापर युग में  बाणासुर ने तलाब में किया था स्नान

जिस तालाब में राक्षस राज ने किया था स्नान वह अब भी है मौजूद स्थानीय वकील कुमार बताते हैं कि द्वापर युग के समय जब राक्षस राज बाणासुर गांव में ठहरे थे तो उस समय तालाब में स्नान किया था. सदियों पुराना यह तालाब आज भी मौजूद है. हालांकि अब तालाब में गाद भर गया है. उन्होंने बताया कि उस कालखंड की कई कीमती मूर्तियां भी मौजूद है. इसके अलावा दो ऐतिहासिक शंख भी मौजूद है जो द्वापर युग से संबंधित है. यहां भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण तथा कई इतिहासकार भी पहुंचकर शोध कर चुके हैं.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *