पटना सिटी एक बार फिर से ऐतिहासिक खोइछा मिलन समारोह का गवाह बना। हजारों की संख्या में श्रद्धालु खोइछा मिलन में जुटे।पटना सिटी की सड़कें लोगों से पटी हुई थी। सदियों से इस परंपरा का निर्वहन किया जाता रहा है। मान्यता रही है कि मारूफगंज स्थित बड़ी देवी बड़ी बहन हैं।
जबकि महाराजगंज देवी छोटी बहन हैं। विजयदशमी के दिन बेलवरगंज में मारूफ गंज देवी और महाराजगंज देवी का खोइछा मिलन होता है। यहां पर दोनों देवियां जुटती हैं। उनके खोइछा की अदला-बदली होती है। यह दृश्य अत्यंत ही अलौकिक होता है और इसे देखने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं।
कहा जाता है कि यह दृश्य देखना सबके सौभाग्य में नहीं होता। जो लोग इस दृश्य को देख पाते हैं वह अपने आप को बहुत ही सौभाग्यशाली मानते हैं।शुक्रवार की रात पटना सिटी स्थित मारूफ गंज देवी और महाराजगंज देवी का खोइछा मिलान हुआ। हज़ारों लोग जुटे।
हजारों भक्तों की भीड़, मईया के जयकारे और शंख मृदंग की ध्वनि के साथ मंत्रोच्चार, बेलवरगंज में शनिवार की रात श्री बड़ी देवीजी मारूफगंज और महाराजगंज के खोंइछा मिलन का अलौकिक दृश्य देख कर लोग भाव- विह्वल हो गये। इससे पहले मिलन स्थल पर छोटी बहन अपनी बड़ी बहन का इंतजार करती रहीं।
रात सवा ग्यारह बजे मारूफगंज की देवीजी जैसे ही पहुँची। लोग जय-जयकार करने लगे,खौइचा मिलन के बाद बड़ी बहन भद्र घाट के लिये आगे बढ़ी। इसके बाद सबसे पहले मारूफगंज बड़ी देवी को विसर्जन के लिए ले जाया गया उनके पीछे- पीछे उनकी छोटी बहन महाराजगंज छोटी देवी को ले जाया गया।
इस अवसर पर श्रद्धालुओं की आस्था, उनका उत्साह देखते बन रहा था। इस अवसर पर बड़ी संख्या में पुलिस की भी तैनाती की गई थी। सुरक्षा पूरी तरह से मुस्तैद थी।
बड़ी दुर्गाजी की हुई 32 कहारों के कंधों पर विदाई, दर्शन के लिए उमड़ पड़ा पूरा शहर:
नौ दिन भक्तों के पास रहने के बाद बड़ी दुर्गा आज यानि रविवार को चली जाएगी। शनिवार शाम को ही बड़ी दुर्गा मंदिर से बाहर 32 कहारों के कंधे पर सवार होकर निकल गयी थी। आज उनकी प्रतिमा को विसर्जित किया जाएगा।
मुंगेर में बड़ी दुर्गा, छोटी दुर्गा और बड़ी काली तीनों देवियों का विसर्जन कंधों पर उठाकर गंगा में विसर्जित किया जाता है। इससे पहले तीनों देवियों की प्रतिमाओं को शहर के विभिन्न चौक-चौराहे पर रखा जाता है ताकि भक्त माता के अंतिम दर्शन कर सके।
कल शाम को बड़ी दुर्गा समेत दोनों देवियों के प्रतिमाओं को मंदिर से बाहर निकाला गया और पूरे शहर में घुमाया गया। आज उनको गंगा में विसर्जित किया जाएगा।
32 कहारों के कंधे पर सवार बड़ी दुर्गा के दर्शन के लिए हजारों की भीड़ उमड़ पड़ी। सभी ने माता के आखिरी दर्शन कर फिर से आने का वादा लिया। बता दें कि प्रशासन के आदेश पर प्रतिमाओं का विसर्जन मुहर्रम से पहले किया जा रहा है।