राजगीर की पंच पहाड़ियों से होते हुए सिद्धार्थ ज्ञान की टोह में फल्गु नदी के पूर्वी तट पर स्थित ढुंगेश्वरी पर्वत श्रृंखला तक पहुंचे। इसी पर्वत के गुफा में उन्होंने छह वर्षो तक घोर तपस्या किया था।
जिसे पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जा रहा है। राज्य सरकार ने पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं बनाई है। उनमें एक रोप-वे भी है। ढुंगेश्वरी पर्वत की गुफा में प्रवेश करते ही दाहिने ओर दो देवी की प्रतिमा स्थापित है।
एक ढुंगेश्वरी देवी व दूसरी दुर्गा देवी। स्थानीय पुजारी मानते हैं कि सिद्धार्थ जब ढुंगेश्वरी आए, तो उन्होंने ढुंगेश्वरी देवी के समक्ष ही ज्ञान की प्राप्ति की कामना कर अपना तप शुरू किया था।