बिहार में शराबबंदी के बाद अब नितीश कुमार बिहार को दहेज़ जैसी कुरीतियों से मुक्त करना चाहते हैं। दहेज़ बंदी महिला सशक्तिकरण को और भी मज़बूती प्रदान करेगी। दहेज और बाल विवाह के मामले में कानून से अधिक शराब बंदी की तरह सामाजिक आंदोलन की आव्सय्कता है। शराब के खिलाफ पहली मजबूत आवाज महिलाओं के बीच से उठी थी और अभियान सफल हुआ।
दहेज और बाल विवाह की कुप्रथा से महिलाएं ही सबसे अधिक प्रभावित होती हैं। सरकार अगर कानूनी प्रावधानों के तहत इन पर पाबंदी लगाने की कोशिश करती है तो यकीन मानिए कि राज्य की महिलाएं शराबबंदी की तरह इस मोर्चे पर भी आगे आएंगी। शराबबंदी के बाद नीतीश कुमार ने कुछ और सामाजिक बुराइयों पर प्रहार करने के उद्देश्य से ही दहेज और बाल विवाह पर रोक को अपने एजेंडा में शामिल किया है। उम्मीद की जानी चाहिए कि इन दोनों एजेंडों पर भी वे पूरी मुस्तैदी से काम करेंगे।