बिहार दीपावली के दिन धार्मिक सद्भाव का एक बड़ा केन्द्र बन जाता है। यहां हिन्दू और जैन समुदाय मिल कर प्रकाशोत्सव मनाते हैं। हिन्दू भगवान राम के वनवास से आयोध्या आगमन की स्मृति में दीपावली मनाते हैं तो जैन लोग भगवान महावीर का निर्वाण उत्सव रोशनी और रंगोली से मनाते हैं।
बिहार के नालंदा जिले के पावापुरी में जैन धर्म के अंतिम तीर्थंकर वर्धमान महावीर ने अपना अंतिम उपदेश दिया था और वहीं उन्होंने अपने शरीर का त्याग ( महानिर्वाण) कर दिया था।
बिहार सरकार पहली बार पावापुरी में निर्वाण उत्सव को राजकीय कार्यक्रम के रूप में मना रही है। सरकार के सौजन्य से यहां 17 और 18 अक्टूबर को कार्यक्रम आयोजित किया गया है।
नालंदा के पावापुरी में पहले भी जैन समुदाय के लोग निर्वाण उत्सव मनाते रहे हैं जिसे वे लोग अठई महोत्सव कहते हैं। दीपावली के दिन वे चांदी की पालकी में भगवान महावीर की शोभायात्रा निकालते रहे हैं।
पालकी में महावीर की प्रतिमा के साथ साथ घी की गोली लेकर भक्त भी बैठे होते हैं। महिलाएं अपने सिर पर चांदी की थाली लेकर शोभा यात्रा में चलती हैं जो भगवान महावीर की माताजी त्रिशला के 14 स्वप्नों की याद में होता है।
2543 साल पहले कार्तिक अमावस्या यानी दीपावली के दिन भगवान महावीर ने राजा हस्तिपाल द्वारा बनाये मंडप में अपना आखिरी उपदेश दिया था। फिर वहीं उनका निर्वाण हुआ। मान्यता है कि निर्वाण के समय ऐसी दिव्य रोशनी हुई थी जिसके प्रकाश से पूरा संसार आलोकित हो उठा था।
इसके गवाह देवी-देवता भी थे। किंवदंती के मुताबिक उनका अग्नि संस्कार उस स्थान पर हुआ था जहां आज तालाब है। उस स्थान से लाखों लोगों ने एक- एक चुटकी मिट्टी उठायी थी जिससे उस स्थान पर तालाब बन गया। इसी पावन दिन की याद में निर्वाण महोत्सव आयोजित किया जाता है।
इस समारोह में शामिल होने के लिए के लिए देश-विदेश से हजारों श्रद्धालु पावापुरी पहुंचते हैं। निर्वाण के समय चूंकि दिव्य प्रकाश हुआ था इस लिए इस समारोह में रोशनी का भव्य प्रदर्शन होता है।
प्रसाद के रूप में मोदक चढ़ाने के बाद रात में 108 दीपक की महाआरती
दीपावली के पावन पर्व पर पूरे जल मंदिर परिसर को विशेष तरीके से रंगोली एवं रोशनी से सजाया जाता है। गीत-संगीत के साथ भगवान के निर्वाण की आराधना होती है। आरती के बाद सभी भक्त एक दूसरे को दीपावली और नये वर्ष की शुभकामनाएं देते हैं। जैन समुदाय के लोग दीपावली के अगले दिन को नये साल की शुरुआत मानते हैं।