दीपावली रोशनी के साथ खुशियों का त्योहार है. इसमें हर तरफ रोशनी के साथ आनंद ही आनंद है. दीपावली दो दिन मनाई जाती है. एक छोटी और दूसरी बड़ी. दोनों के अलग मान्यताएं हैं. लोग दोनों दीपावली को खुशी के साथ मनाते हैं. दीपावली से एक दिन पूर्व छोटी दिवाली मनाई जाती है. इस दिन पूजा करने का विशेष महत्व है. मिथिलांचल में इस दिन एक विशेष पंरपरा का निर्वहन किया जाता है. इस पर विशेष जानकारी देते हुए कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय के स्नातकोत्तर ज्योतिष विभाग के विभाग अध्यक्ष डॉ कुणाल कुमार झा बताते हैं कि गाय के गोबर से दीप निर्माण कर एक विशेष पूजा की जाती है. इससे पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है.

पितरों को मोक्ष प्राप्ति के लिए करें यह उपाय
डॉ. कुणाल कुमार झा बताते हैं की छोटी दीपावली प्रमुख त्योहार चतुर्दशी तिथि को मनाई जाती है. यह पर्व इस वर्ष 11 नवंबर को मनाई जाएगी. मिथिला में चली आ रही परंपरा के अनुसार पितर निवृत्तिक गाय के गोबर से दीप निर्माण करके और उसका दक्षिणविमुख करके दीप प्रज्वलित किया जाता है. इसके बाद इसेघर से बाहर जहां कूड़ा करकट रखा जाता है, वहां उसके ऊपर जाकर के वह दीपदान किया जाता है. ऐसा करने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है. धन्य-धान्य की भी प्राप्ति होती है उनके आशीर्वाद से.
कई जगह कहते हैं यम का दीया
धनतेरस के अगले दिन हमारे यहां छोटी दिवाली मनाई जाती है. इस दिन का अपना अलग महत्व है. इस दिन यम का दीया जलाने की परंपरा है. इस दिन घर के बड़े या बुजुर्ग गाय के गोबर से बने दीया को दक्षिण दिशा में जलाते हैं. इससे कई जगहों पर यम का दीया भी कहते हैं. इसको जलाने से पहले आपको साफ सूथरा रहना चाहिए.शाम को प्रदोष काल के समय यम का दीयाजलाना चाहिए.
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