सारण जिले के 1807 गांवों की धरोहरों को डिजिटल प्लेटफॉर्म पर लाया जाएगा। इसकी कवायद तेज हो गयी है। हर गांव का सर्वे कर धरोहर की पूरी जानकारी को केंद्र सरकार तक पहुंचाया जाना है। इससे आने वाले समय में गांव की संस्कृति को नई पहचान मिलेगी। भारत सरकार के इलेक्ट्रॉनिक व सूचना मंत्रालय के अधीन संचालित कॉमन सर्विस सेंटर के माध्यम से संपूर्ण देश में सांस्कृतिक सर्वे का कार्य किया जाना है। भारत सरकार ने इस अभियान को मेरा गांव मेरी धरोहर नाम दिया है। सीएससी जिले के हर गांव में जाकर धरोहर की जानकारी एकत्रित कर एप पर डालेगा।
धरोहर से जुड़ी जानकारी फोटो-वीडियो भी करनी है अपलोड
पारंपरिक भोजन, पहनावा, कला, वाद्य यंत्र, गायन, पारंपरिक पर्व त्योहार मनाने के तरीके में विविधता भी है। जिले के कई धरोहर भी बिखरे पड़े हैं। गांव की अपनी धरोहर, सांस्कृतिक विशेषता, खान पान, वेशभूषा, आभूषण, विरासत, विशिष्ट व्यक्ति, तीज त्योहार, आस्था आदि की जानकारी ली जाएगी। नाम और फोटो के साथ वीडियो को एप पर अपलोड किया जाएगा।
पहली बार हो रहा सांस्कृतिक सर्वे
देश में पहली बार इस तरह का सर्वेक्षण हो रहा है। सीएससी द्वारा जिले में इस पर काम जल्द शुरू कर दिया जाएगा। दाउदपुर के सीएससी संचालक सूर्य प्रकाश कुशवाहा व जैतपुर के संचालक मनीष पांडेय मिंटू ने बताया कि पहले चरण में सीएससी संचालकों को प्रशिक्षण दिया गया है। जिले में 20 प्रखंड के 1807 गांवों में मेरा गांव मेरी धरोहर योजना का सर्वे होना है। इसके लिए हर पंचायत में मौजूद कॉमन सर्विस सेंटर संचालक को लगाया गया है। उन्हें एप उपलब्ध करा कर इसकी प्रक्रिया समझायी जाएगी।
सामाजिक कार्य और सुविधाओं की भी जानकारी
धरोहर के साथ एप सामाजिक कार्य और सुविधाओं की भी जानकारी देगा। आसपास के लोग अपना परिवार कैसे चला रहे हैं, उनका रोजगार क्या है, इसकी जानकारी भी ली जाएगी। जिले में प्रसिद्ध व्यक्तित्व व कलाकारों की भी कोई कमी नही है। अभी तक इन्हें सहेजकर व्यवस्थित करने की दिशा में कोई खास पहल नहीं की जा रही थी। लेकिन अब मेरा गांव-मेरी धरोहर एप के जरिए कॉमन सर्विस सेंटर गांव के बिखरे धरोहरों को सहेजेगा।