वास्तव में बिहार संसाधनों की कमी के बावजूद हर क्षेत्र में प्रतिभाशाली है। अगर प्रतिभा मुश्किल से बढ़ती है, तो वास्तव में यह सराहनीय है।
फिल्म ‘इश्किया’ में विद्या बालन, नसरुद्दीन शाह, अरशद वारसी के डायलाग तो याद होंगे। सात खून माफ़ में प्रियंका, ज़िन्दगी न मिलेगी दोबारा में कल्कि के डायलाग, लेकिन क्या आपको पता है की उनकी सधी हुई बोली और स्वर के पीछे अपने बिहार के ही एक युवक की मेहनत है।
विकास अभिनय के साथ साथ क्रिकेट, बॉलीवुड एवं टीवी से जुडे लोगो को संवाद कोच का काम कर रहे है। नरगिस फाखरी, लिज़ा हेडेन, शहनाज़ ट्रिज़र्वाला, प्रियंका चोपडा और विद्या बालन के भी हिन्दी कोच रह चुके है।
बिहार के गया में जन्में और नालंदा जिले के बिहारशरिफ़ के रहने वाले विकास कुमार ने बॉलीवुड के कई दिग्गज कलाकारों को बिलम में उनके किरदार में ढल कर बोलने के लिए ट्रेनिंग दी है।
विकास के पास हिंदी या अंग्रेजी में कोई औपचारिक डिग्री नहीं है, लेकिन हिंदी की विविधताओं पर उनकी पकड़ मज़बूत होने के कारण बॉलीवुड में शिक्षक के रूप में उनकी काफी डिमांड है।
हम बॉलीवुड फिल्मों में अभीनेता और अभिनेत्री को बिलकुल साढ़े रूप में डायलाग बोलते सुनते हैं। लेकिन उसके पीछे मेहनत होती है डायलाग कोच की। हिंदी या क्षेत्रीय बोलियों को स्पष्ट रूप से बोलने के लिए बॉलीवुड अभिनेताओं को सिखाने के के लिए उनकी मांग की जाती है।
बॉलीवुड में डायलाग कोच बनने के सफर के बारे में विकास ने कहा, “मैं कहूंगा कि यह ईश्वर की इच्छा है। जब मैं भूमिकाओं के लिए ऑडिशन कर रहा था, तो जो कोई भी मेरी ऑडिशन टेप देखता था, हमेशा कहा जाता था कि डायलाग मेरे मजबूत बिंदु है। यह मुझे एक सुनहरा अवसर दिखा। इसलिए जब भी कोई डायरेक्टर या प्रोडूसर मुझे बॉलीवुड स्टार्स को कोचिंग देने के लिए संपर्क करते, तो मैंने इस अवसर को ही छोड़ता। लेकिन मूल रूप से मैं एक अभिनेता हूं। “