गंगा के प्रदूषित जल से लोग बीमारी की चपेट में आ रहे हैं। वे संक्रमण और पेट के रोग से पीड़ित हो रहे हैं। पीएमसीएच के त्वचा रोग विभाग के चिकित्सकों का कहना है कि जो लोग गंगा में स्नान करते हैं, उनमें चर्म रोग, संक्रमण, पेट की बीमारी की आशंका 25 फीसदी तक बढ़ जाती है।
विभागाध्यक्ष डॉ. अमरकांत झा ने बताया कि वर्ष 1988 में गंगा के प्रदूषित जल से ऐसी बीमारियों के मरीजों की संख्या करीब दो से ढाई फीसदी हुआ करती थी।
लेकिन पिछले दो-तीन वर्षों में मरीजों की संख्या बढ़ गई है। डॉक्टरों का कहना है कि प्रदूषित जल हृदय और फेफड़ा में जाने से सिवरकुलोसिस नामक बीमारी हो जाती है। आईजीआईएमएस के चर्म रोग विभागाध्यक्ष डॉ. क्रांति जयकर ने बताया कि दूषित जल के कारण फंगल संक्रमण, चर्म रोग और एलर्जी के 70 फीसदी मरीज अस्पताल में आ रहे हैं।
डॉ. क्रांति का कहना है कि शरीर की प्रतिरोधक क्षमता कम होने के कारण टोटल कोलीफार्म और फीकल कोलीफार्म नामक खतरनाक जीवाण मानव शरीर पर अटैक करते हैं। लोगों को चाहिए कि वे शारीरिक मेहनत ज्यादा से ज्यादा करें ताकि इस तरह के बीमारी का शिकार नहीं होना पड़े। गंगा के दूषित जल को शुद्ध करने का ठोस उपाय जमीनी स्तर पर होना चाहिए।