देश के कई हिस्सों में ऐसे मरीज बड़ी संख्या में सामने आए हैं जो कोरोना की चपेट में आकर ठीक हो गए लेकिन फिर उनके दांतों में बीमारियां पैदा हो गईं और उन्हें अपना जबड़ा तक निकलवाना पड़ा. कोरोना बीमारी के अलावा इसके ठीक होने के बाद शरीर पर पड़ रहे प्रभाव और भी ज्यादा खतरनाक साबित हो रहे हैं. कोरोना रिकवरी के बाद फेफड़ो सहित शरीर के अंगों को नुकसान पहुंचाने वाली कई बीमारियां सामने आ चुकी हैं. हालांकि अब डेंटल हेल्थ विशेषज्ञों का भी कहना है कि कोरोना के बाद देशभर में दांत, मसूड़े और जबड़े की बीमारियों से जूझ रहे मरीजों की संख्या बढ़ी है.
डेंटल डिजीज को लेकर डेंटल काउंसिल ऑफ इंडिया का कहना है कि कोरोना की पहली लहर के बाद अब आई दूसरी लहर ने मानव शरीर को नुकसान पहुंचाने के साथ ही दांतों पर भी असर डाला है. देशभर में दूसरी महामारी बनकर उभरे म्यूकरमाइकोसिस यानी ब्लैक फंगस के दौरान भी मरीजों के मुंह और दांतों में सड़न पाई गई है जो धीरे-धीरे साइनस, आंखों और फिर आखिर में मस्तिष्क तक पहुंचने लगी.
डेंटल काउंसिल ऑफ इंडिया के एक्जीक्यूटिव मेंबर डॉ. अनिल कुमार चांदना कहते हैं कि देश के कई हिस्सों में ऐसे मरीज भी बड़ी संख्या में सामने आए हैं जो कोरोना की चपेट में आकर ठीक हो गए लेकिन फिर उनके दांतों में बीमारियां पैदा हो गईं और उन्हें अपना जबड़ा तक निकलवाना पड़ा.
कुछ लोगों को दांतों में गंभीर दर्द के साथ ही मसूड़ों में पस पैदा होने से लेकर दांत हिलने और फिर खुद ही बाहर निकलकर गिर जाने की भी शिकायतें आई हैं. हालांकि ऐसा ज्यादातर उन मरीजों में पाया गया है, जिन्हें कोरोना हुआ था और वे ठीक भी हो गए. डॉ. चांदना कहते हैं कि दांतों की बीमारियां आजकल हर दूसरे व्यक्ति में मिल सकती हैं लेकिन कोरोना आने के बाद से ये गंभीर हुई हैं.
डॉ. कहते हैं कि शरीर की इम्यूनिटी कमजोर होने से मसूड़ों, दांतों पर भी असर होता है. इसके साथ ही जो सबसे बड़ी परेशानी है वह यह है कि लोग हाइजीन पर बिल्कुल ध्यान नहीं देते. आमतौर पर भी आपने देखा होगा कि अगर व्यक्ति सामान्य रूप से बीमार है तो वह अपने दांतों पर ध्यान नहीं देता या कहें कि वह सबसे पहले ओरल हाईजीन को लेकर लापरवाह होता है. मरीज को जो खाने को दिया जाता है वह खाता है और उसके बाद दांतों की सफाई को लेकर कोई कोशिश नहीं करता. एक दिन में दो बार ब्रश करने वाले भी एक बार भी मुश्किल से करते हैं. ऐसा देखा गया है.
कोरोना के बाद ऐसा भी हुआ है कि कुछ लोग मानसिक तनाव या साइकोलॉजिकल समस्याओं से जूझ रहे हैं और वे डेंटल हाईजीन के प्रति पूरी तरह लापरवाह हो जाते हैं. वहीं लॉकडाउन में घर पर ही रहने वाले लोगों ने भी हाईजीन को लेकर कोताही की है. इससे मसूड़ों में परेशानियां पैदा हुई हैं. इसके मामले भी काफी सामने आ रहे हैं.
कोरोना के बाद कई मामलों में ये देखा गया है कि ओरल हाइजीन न होने से ब्लैक फंगस खतरनाक हुआ है. डायबिटीज और स्टेरॉइड्स ज्यादा लेने से भी दांतों और मसूड़ों पर असर पड़ता है. दांतों में ये परेशानियां हो सकती हैं.
- दांतों में दर्द और सड़न पैदा होना
- मसूड़ों में दर्द, सूजन और पस पड़ना
- दांतों में पायरिया या कैविटी लगना
- ऊपर के जबड़े का गलना
- दांतों का हिलना और ढीले हो जाना या दांत गिरने लगना
- दांतों में असीमित दर्द का होना
- दांतों को बचाने के लिए ये करें उपाय
डॉ. चांदना कहते हैं कि इस समय दांतों पर ध्यान देना बेहद जरूरी है. इसके लिए इन उपायों पर ध्यान दिया जा सकता है.
- ओरल हाईजीन को लेकर विशेष ध्यान दें.
- दांतों की रोजाना कम से कम दो बार साफ-सफाई जरूर करें.
- अंदर-बाहर से ब्रश करें.
- खाना खाने के बाद कुल्ला जरूर करें. जो भी खाया है उसे दांतों पर न जमने दें.
- जीभ की भी सफाई करें.
- दांतों या मसूड़ों में अगर दर्द महसूस हो रहा है तो तुरंत डॉक्टर को दिखाकर चेकअप कराएं.
- किसी भी गंभीर बीमारी से बचने के लिए यह जरूरी है.
- ईएनटी चेकअप के साथ डेंटल चेकअप जरूर कराएं.
अपने हेल्थ और रूटीन चेकअप की तरह ही दांतों का चेकअप भी बेहद जरूरी है. इससे दांतों और मसूड़ों में आ रही बीमारियों को समय रहते ठीक किया जा सकता है. खासतौर पर बच्चे इस वक्त घरों में हैं और उनके खाने-पीने का सिस्टम भी गड़बड़ाया हुआ है. वे स्कूल रूटीन से अलग अब कभी भी कुछ खाते हैं ऐसे में उनके दांतों को बचाने के लिए उन पर नजर रखने के साथ ही उनके दांतों का चेकअप कराना बेहद जरूरी है.
यह बात हमेशा याद रखनी चाहिए कि अगर दांतों में एक बार कीड़ा लग गया तो उसे हटाना संभव नहीं है. वह दांत को जब तक खत्म नहीं कर देगा तब तक नहीं जाएग. ऐसे में भविष्य के लिए दांतों को बचाने की जरूरत है.
कोरोना के बाद म्यूकरमायकोसिस या ब्लैक फंगस में भी देखा गया है कि दांत हिलने के साथ ही दर्द की शिकायत के बाद पूरे जबड़े को निकालना पड़ा, ऐसे में थोड़ी सी भी दिक्कत को हल्के में न लें.