गया के दशरथ मांझी ने पहाड़ तोड़ने के लिए घर में रखी बकरी को बेचकर औजार खरीदा था। दशरथ मांझी के बेटे भगीरथ मांझी ने बताया कि उसके पिताजी के पास छेनी व हथौड़ी के लिए पैसे नहीं थे। उन्होंने तीन बकरियां बेच दी और छेनी-हथौड़ी खरीदा।
इसके लिए उनके चाचा से बोलचाल भी बंद हो गया। उन्होंने बताया कि मेरे पिताजी को किसी व्यक्ति ने मुफ्त में छेनी व हथौड़ी नहीं दी थी। पर्वत पुरुष दशरथ मांझी की घन और छेनी-हथौड़ी गया संग्रहालय में धरोहर के रूप में संरक्षित की जाएगी।
इसके तहत एक गैलरी का निर्माण भी होगा, जिसमें उनकी यादों सहित तस्वीरों को दर्शकों के सामने प्रदर्शित की जाएगी।
संग्रहालय में इस छेनी हथौड़ी को एक शीशे के शो-केस में रखा जाएगा, जिसे दर्शक आराम से देख सकेंगे, साथ ही पर्वत पुरुष बाबा दशरथ मांझी के जीवन पर लिखी पुस्तकें व समाचार पत्रों के पन्नों को भी गैलरी में रखा जाएगा।
संग्रहालय के अधिकारियों की माने तो गैलरी से जुड़ी तैयारी शुरू हो चुकी है। बाबा दशरथ मांझी की जो भी चीजें उपलब्ध होगी, उसे सुरक्षित संग्रहालय में रखा जाएगा। बता दें कि बाबा दशरथ मांझी ने 22 वर्षों के अथक प्रयास के बाद पहाड़ का सीना चीर रास्ता बनाया।
अगले एक सप्ताह में जिला प्रशासन पर्यटन शाखा की ओर से गया संग्रहालय को बाबा दशरथ मांझी की छेनी-हथौड़ी सौंपी जाएगी, साथ ही इनसे जुड़े सारी चीजें जो उपलब्ध हो उसे भी इस गैलरी में रखा जाएगा। गैलरी को आकर्षक लाइट से भी सजाया जाएगा।
म्यूजियम के प्रेसिडेंट विनय कुमार ने बताया कि बाबा दशरथ मांझी के छेनी हथौड़े को संग्रहालय में धरोहर के रूप में रखा जाना है। इसकी अधिसूचना जारी हो चुकी है। इसके तहत एक गैलरी का निर्माण किया जाएगा। शीशे के शो-केस में इस छेनी-हथौड़ी को रखा जाएगा। इसके अलावे उनकी सारी चीजें प्रदर्शित की जाएंगी।