बंद कर दी गई कश्मीर में 149 सालों से चली आ रही ‘दरबार मूव’ प्रथा

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करीब 150 सालों से कश्मीर में मौसम के चलते राजधानी बदल जाती थी और इसी के साथ प्रशासनिक अमला भी एक राजधानी से दूसरी राजधानी की ओर चल देता था. फिर 06 महीने वहीं रहता था. ये एक बड़ी एक्सरसाइज होती थी. इस अमले के लिए दोनों राजधानियों में मकान अलाट रहते थे. लेकिन अब इस दरबार तबादले को बंद कर दिया गया है. हालांकि ये घोषणा कश्मीर के लोगों के लिए हैरानी भरी है. इसे बंद करने को लेकर उनके मन में तमाम सवाल भी हैं. कुछ लोग इसकी आलोचना भी कर रहे हैं. कुछ इसे जल्दबाजी में उठाया गया कदम बता रहे हैं. लेकिन उपराज्यपाल ने ऐलान करते हुए कहा कि ऐसा ई- आफिस व्यवस्था के चलते किया गया है. इसलिए इस परंपरा की जरूरत नहीं रही.

हालांकि अभी ये साफ नहीं है कि जम्मू और कश्मीर की दो राजधानियां बनी रहेंगी, जो श्रीनगर और जम्मू हैं. या फिर राज्य की अब एक ही मुकम्मल राजधानी रहेगी. अब तक श्रीनगर गर्मियों की राजधानी होती थी और और जम्मू सर्दियों की. ये परंपरा क्यों शुरू की गई. इसे किस तरह हर साल अमल में लाया जाता है. ये हम आपको बताते हैं.

हर साल जम्मू और कश्मीर में सचिवालय परिवर्तन होता आया था. सभी सरकारी दफ्तर श्रीनगर से जम्मू और इसके विपरीत क्रम में बदले जाते थे. जिसे ‘दरबार मूव’ यानी दरबार का तबादला कहा जाता था. मई से अक्टूबर तक सभी सरकारी ऑफिस श्रीनगर में स्थित रहते हैं जो गर्मियों की राजधानी रहती थी. वहीं नवंबर से अप्रैल तक सभी दफ्तर जम्मू स्थित होते हैं जो सर्दियों की राजधानी बनती थी. जम्मू और कश्मीर स्थित उच्च न्यायालय का भी तबादला होता है और राजधानी भी मौसम अनुसार बदलती है. उपराज्यपाल ने जम्मू-कश्मीर में दरबार मूव की 149 साल परंपरा पर रोक लगा दी. अब काम ई-प्रशासन के जरिए होगा.

मौसमी समस्याओं के अलावा हर साल करोड़ों रुपये सरकारी दस्तावेजों को इधर से उधर करने और कई ट्रकों में सामान लादने पर खर्च किए जाते थे. माना जाता है कि इस पर हर साल 200 करोड़ रुपए खर्च होते थे. अफसरों और कर्मचारियों को दोनों राजधानियों में घर दिए जाते थे. अब सबसे बड़ा सवाल यही है कि जम्मू-कश्मीर में दो राजधानियां बनी रहेंगी या फिर एक ही राजधानी रहेगी. इसको अभी सरकार ने स्पष्ट नहीं किया है. सरकार ने केवल दरबार मूव को ही रोका है.

‘दरबार मूव’ का इतिहास जानने के लिए हमें 19वीं सदी में जाना होगा. जम्मू और कश्मीर के महाराजा, रणबीर सिंह ने श्रीनगर को जम्मू और कश्मीर की दूसरी राजधानी करार किया था. पहली राजधानी जम्मू ही थी. हालांकि, इसके पीछे उस समय अपने अलग कई तर्क और विचार पेश किए गए थे.

पहले पहल, ट्रीटी ऑफ अमृतसर (1846) के दौरान जम्मू और कश्मीर क्षेत्र ‘डोगरा साम्राज्य’ के अंतर्गत आता था. कश्मीर के लोगों को खुशी देने के लिए श्रीनगर को छह महीने के लिए राजधानी करार किया गया था. जम्मू को बाकी के बचे छह महीनों के लिए राजधानी करने के लिए कहा गया था.

दूसरा, कश्मीर, गर्मियों के मौसम में काफी सुहाना, सुंदर और आनंदमय जगह मानी जाती थी. इसलिए, राजाओं के लिए गर्मियों का समय यहां छुट्टियां बिताने जैसा था. कुल मिलाकर कहें तो ये काफी रणनीति-संबंधी और मौसमी निर्णय था. कई सालों में इस पर अलग-अलग विचार आए हैं. जो लोग श्रीनगर को एकमात्र राजधानी मानते हैं उनका कहना है कि श्रीनगर, जम्मू और कश्मीर की जान है. कश्मीर एक तरफ उत्तर में है तो जम्मू, दक्षिण में बसा है. राजनीतिक और भौगोलिक दोनों ही रूप से ये सही है. वहीं, कई लोग इस विचार के खिलाफ भी हैं.

सर्दियों में श्रीनगर का तापमान इतना कम हो जाता है कि लोग ठंड से परेशान हो जाते हैं. इसके चलते वे अपना दफ्तर और घर दोनों ही चीजें जम्मू में शिफ्ट होना सही समझते हैं. हालांकि, जम्मू में भी ठंड पड़ती है लेकिन इतनी नहीं जितनी श्रीनगर में होती है. दूसरी ओर दुकानदार और बाकी के व्यापारी श्रीनगर को स्थायी राजधानी मानने से इंकार करते हैं. क्योंकि सर्दियों के समय में वे जम्मू को अपना घर समझकर वहां कमाई का जरिया ढूंढ सकते हैं. गर्मी के दिनों में श्रीनगर बहुत खुशगवार हो जाता है. तब यहां कामकाज बेहतर तरीके से चलता है.

साल 1987 में, डॉ. फ़ारुक अब्दुल्ला जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री थे. उस समय उन्होंने श्रीनगर को एकमात्र राजधानी बनाने के लिए एक ऑर्डर पास किया था. इसका जम्मू स्थित दुकानदारों और राजनीतिक लोगों ने जमकर विरोध किया. उन्हें विरोध प्रदर्शन के बाद फैसला बदलना पड़ा.

‘दरबार मूव’ करने का मुख्य कारण सर्दियां हैं. श्रीनगर में इस दौरान काम करना काफी मुश्किल होता है. लेकिन, क्या श्रीनगर एक-लौती राजधानी है जहां कड़ाके की ठंड पड़ती है? तापमान गिरता है? मॉस्को के बारे में सोचिए! ये दुनिया की तीसरी सबसे ठंडी राजधानी है. ठंड में मॉस्को का तापमान -10 डिग्री सेल्सियस होता है. वहीं, अगर श्रीनगर को देखा जाए तो ठंड के मौसम में तीन डिग्री तक ही तापमान गिरता है. जब रूस की एक राजधानी हो सकती है तो जम्मू और कश्मीर की क्यों नहीं?

 

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