बिहार में कोरोना की चरणवार लहर के बावजूद आयकर संग्रह में पिछले वित्तीय वर्षों की तुलना में काफी बढ़ोतरी हुई है। इससे पता चलता है कि कोरोना के खतरों के बीच लोगों की कमाई अच्छी हुई। इसके एवज में टैक्स भी दिया गया। वित्तीय वर्ष 2021-22 के दौरान 12 हजार 200 करोड़ रुपये के टैक्स संग्रह का लक्ष्य रखा गया था, लेकिन इसके मुकाबले 14 हजार 600 करोड़ टैक्स संग्रह हुआ है। इसमें आयकर 10 हजार करोड़ और कॉरपोरेट टैक्स साढ़े चार हजार करोड़ शामिल है।
पिछले वित्तीय वर्ष की तुलना में यह चार हजार करोड़ अधिक है। कोरोना के कारण 2020-21 में आयकर संग्रह का लक्ष्य घटाकर 10 हजार करोड़ कर दिया गया था। इसमें 10 हजार 500 करोड़ रुपये टैक्स संग्रह हुआ था। इससे पहले 2019-20 में 12 हजार करोड़ रुपये टैक्स संग्रह के लक्ष्य की तुलना में 12 हजार 300 करोड़ टैक्स आया था। बीते वित्तीय वर्ष रिकॉर्ड 14 हजार 600 करोड़ का टैक्स संग्रह हुआ है। चालू वित्तीय वर्ष में 17 हजार 500 करोड़ रुपये टैक्स वसूली का लक्ष्य रखा गया है।
टैक्स संग्रह में वृद्धि के ये रहे प्रमुख कारण
● कोरोना के कारण जिन्हें टैक्स जमा करने में राहतदी गयी , स्थिति सामान्य होने पर इन लोगों से 2021-22 में राशि वसूली गई।
बैंक, पोस्ट ऑफिस समेत सभी वित्तीय संस्थानों से लेनदेन की पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन होने से वास्तविक आय छिपाकर टैक्स से बचना मुश्किल हुआ।
● बड़ी संख्या में आधारभूत संरचना से जुड़े प्रोजेक्ट पर चल काम रहा है, इनमें काम करने वाली कंपनियों से भी टीडीएस के रूप में बिहार को टैक्स मिला।
● छह जगह सर्च से टैक्स संग्रह वृद्धि में मिली सहायता।
● चालू वित्तीय वर्ष में 17 हजार 500 करोड़ टैक्स वसूली का नया लक्ष्य रखा
इन सेक्टरों में बढ़ी टैक्स देने वालों की संख्या
राज्य में आयकर देने वालों की संख्या में एक से डेढ़ लाख का इजाफा हुआ है। इनकी संख्या 12 लाख से बढ़कर अब करीब 14 लाख तक पहुंच गयी है। रिटेल, होटल, कंस्ट्रक्शन या आधारभूत संरचना से जुड़े क्षेत्र और ठेकेदारी के क्षेत्र के लोगों के टैक्स देने की दर में करीब 20 फीसदी का इजाफा हुआ है। हालांकि बिहार में सबसे ज्यादा टैक्स सरकारी नौकरी करने वालों से ही प्राप्त होता है। कुल कर में करीब 65 फीसदी सभी स्तर के सरकारी कर्मियों से ही प्राप्त होता है