कोरोना की वजह से अनगिनत लोग बर्बादी की कगार पर पहुंच गए, तो वहीं कुछ लोग ऐसे भी हैं जिन्होंने आपदा को अवसर बना लिया.कुछ ऐसा ही पश्चिम चम्पारण जिले के एक कोचिंग संचालक ने किया. आज वे एक बेहतरीन शिक्षक के साथ- साथ सफल उद्यमी की सूची में भी शामिल हो चुके हैं. गौर करने वाली बात यह है कि आज वे हर वर्ष 15 लाख रुपए सिर्फ लाभ के रूप में कमाते हैं. साथ ही सैकड़ों लोगों के लिए प्रेरणा स्रोत भी बन चुके हैं.
चनपटिया प्रखंड के भंगहा गांव निवासी 35 वर्षीय अजय कुमार पिछले 10 वर्षों से बेतिया के पुरानी गुदरी में चम्पारण कॉमर्स क्लासेस नाम से कोचिंग चलाते हैं. वर्ष 2020 में जब कोरोना के कारण लॉकडाउन लग गया, तो कोचिंग भी बंद हो गया. इस कारण उनका भी परिवार चलाना मुश्किल हो गया. इस बीच एक दिन अजय किसी काम से कोलकाता गए. वहां लोगों को घर के सामने ही छोटे-छोटे गढ्ढों में मछली पालन करते देख अजय भी उत्साहित हुए और घर लौटकर मछली पालन का प्लान किया.
‘गड्ढे में शुरू किए मत्स्य पालन’
अजय ने बताया कि घर लौटने पर मछली पालन के लिए उन्होंने बाकायदा इसका प्रशिक्षण लिया. लेकिन खुद का तालाब नहीं होने के कारण उन्होंने खेतों के सामने पड़ने वाले गढ्ढों को किराए पर लिया और बरसात में जमा पानी में ही बीज डाल मछली पालन करने लगे. इन सब पर उन्होंने तकरीबन 60 हजार रुपया खर्च किया, जो महज तीन महीने में ढाई लाख की कमाई का जरिया बन गया. बकौल अजय, दरअसल गड्ढे में बीज डालने के ठीक तीन महीने बाद मछलियां बेचने लायक हो गई. इसके बाद उनकी हार्वेस्टिंग की गई. हार्वेस्टिंग कर बेचने पर उन्होंने महज 90 दिनों में ही ढाई लाख रुपए की कमाई कर ली.
22 तालाबों से हर वर्ष 15 लाख रुपए का लाभ
अजय ने इस सिलसिले को आगे बढ़ाया और कोचिंग के साथ-साथ प्रोफेशनल तरीके से मत्स्य पालन भी शुरू किया. आज उनके पास कुल 22 तालाब हैं, जिनमें वे 5 प्रकार की मछलियों का पालन करते हैं. अजय के अनुसार हर वर्ष वह लगभग 8 टन मछलियों का हार्वेस्टिंग कर लेते हैं. जिसे अलग-अलग कीमत पर यूपी तक के बाजार में सप्लाई करते हैं. इस कार्य में सहयोग के लिए उन्होंने कई लोगों को रोजगार भी दिया है. अब खर्च छांटकर हर वर्ष 12 से 15 लाख लाभ के रूप में कमाते हैं