कल लालू की रैली के साथ ही बिहार की राजनीति में हो रही उठापटक की पोल भी खुल गई। राजनीतिक गलियारों में कबसे ये कहा जा रहा था कि बिहार कांग्रेस के अधिकतर नेता जदयू में शामिल होंगे। इस खबर के सामने आने के बाद कांग्रेस ने इसे गलत करार दिया था।
लेकिन एक बार फिर सूत्रों की खबर की पुष्टि हो रही है। कल लालू की रैली में बिहार कांग्रेस के कई विधायकों ने हिस्सा नही लिया था। कहा जा रहा है कि कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अशोक चौधरी को भी बहुत मुश्किल से मना कर रैली में लाया गया था। सूत्रों के अनुसार कांग्रेस के 12 सवर्ण विधायक जदयू के संपर्क में आ चुके हैं।
ऐसे में माना जा रहा है कि कभी भी कांग्रेस में बड़ी टूट हो सकती है। इस बात की खबर कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गांधी को भी है। कहा तो ये भी जा रहा है कि इसी वजह से कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी इस रैली में शामिल नहीं हुए थे। बिहार में जेडीयू और आरजेडी के साथ महागठबंधन टूटने के बाद बिहार में कांग्रेस उहापोह की स्थिति में फंसी दिख रही है।
उसके नेता-विधायक हताश हैं और उन्हें समझ नहीं आ रहा कि आगे का रास्ता क्या होगा। भ्रष्टाचार का आरोप झेल रही आरजेडी के साथ वह अपनी नैया कैसे पार लगाएंगे।
कांग्रेस नेताओं की सबसे ज्यादा नाराजगी पार्टी आलाकमान की चुप्पी को लेकर है। कांग्रेस के अधिकांश स्थानीय नेताओं का मानना है कि तेजस्वी यादव के मामले में अगर आलाकमान नीतीश कुमार के साथ रहने का निर्णय ले लेती तो वो सत्ता से बेदखल नहीं होती।