कोड वर्ड’ में बिकते हैं यह पकोड़े, 28 सालों से हैं फेमस, सिर्फ 3 घंटे में हजार से अधिक पीस हो जाते हैं चट

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 अगर आप भी आलू पकोड़ा खाने के शौकीन हैं, तो भागलपुर के गुरुद्वारा रोड स्थित इस दुकान पर जरूर पहुंचे. यूं तो भागलपुर में कई चीजें फेमस है. लेकिन इस आलू पकोड़े की बात ही कुछ अलग है. लगभग 3 घंटे के अंदर 1000 से अधिक पीस आलू पकोड़े लोग चट कर जाते हैं. यहां पर कई तरह के पकोड़े बनते हैं, लेकिन आलू के पकोड़े की बात ही कुछ अलग है. यहां 1995 से यह फेमस पकौड़ा मिलता है.

कोड वर्ड के हिसाब मिलता है पकौड़ा

दुकानदार मनोज साह ने बताया कि 1995 से ही यह दुकान है. उन्होंने बताया कि उस समय ₹1 में यह पकौड़ा मिलता था, लेकिन अब यह ₹25 मिल रहे हैं. सबसे खास बात की दुकानदार का एक कोड वर्ड होता है. लोग जितने पीस पकौड़े को लेते हैं उस नंबर को लॉक किया जाता है. जो सबसे उस दुकान में यूनिक लगता है. अगर आप चार पीस पकौड़े लेते हैं तो उसके दाम ₹100 होते हैं, तो दुकानदार 100 नंबर को लॉक करता है. तब आपको उस पकोड़े का स्वाद मिलेगा. इसके साथ लोगों को आलू, टमाटर, पोदीनहरा व बैगन की चटनी लोगों को खूब भाता है.

कई सालों लोगों की जुवान चढ़ा है स्वाद

दुकानदार मनोज ने बताया कि बिहार के अलग-अलग कोने से लोग जब भी भागलपुर आते हैं तो यहां पर पकौड़े का स्वाद चखने जरूर चखते हैं. वहीं गोराडीह से आए एक ग्राहक ने बताया कि हम जब भी भागलपुर आते हैं तब इस दुकान पर जरूर पहुंचते हैं. 1995 से ही यह दुकान है, इसकी स्वाद अनोखी है. यहां सबसे बड़ी बात यह होती है कि इतना बड़ा पकड़ा और इतना स्वादिष्ट भागलपुर में कहीं नहीं मिलता है. इसलिए इस पकोड़े का आनंद लेने जरूर पहुंचते हैं.

उस समय भागलपुर में नहीं था पकौड़े का दुकान

मनोज साह ने बताया कि 1995 में भागलपुर में कहीं कहीं दुकान हुआ करता था. कहीं पर दुकान थी लेकिन यह स्वाद लोगों को नहीं मिल पाता था. तभी पढ़ाई में मन नहीं लगने लगा तो पकोड़े की दुकान खोलने की सोची. कुछ यूनिक करने का सोचा तो हमने आलू के पकोड़े के साथ आलू, टमाटर, बैगन की मिक्स चटनी को देना शुरू किया, जो काफी हमारे पकोड़े को यूनिक बनाने लगा. तभी से लोगों को यहां के पकोड़े खूब भाने लगे और लोग यहां के पकोड़े के दीवाने हो गए. वहीं भागलपुर में जब भी गुरुद्वारा रोड का नाम लेता है तो एक बार जरूर पकोड़े वाली गली का नाम मुंह पर आता है. इससे आप अंदाजा लगा सकते हैं कि यहां का पकोड़ा कितना प्रसिद्ध होगा.

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