पटना: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने दिवंगत पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को याद करते हुए अपने पूर्व के रलवे में रह चुके मंत्री पद को याद करते हुए कई सारी बातें बताई. सीएम नीतीश कुमार ने साफ़ कहा है कि अटल जी के साथ राजनीति करते हुए उन्होंने जा सिखा उसका आज वो पालन कर रहे हैं. सीएम ने बताया कि अलट जी के साथ उनका साहचर्य 1995 में शुरू हुआ था.
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बताया कि 1995 में मुंबई में बीजेपी राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में पहुंचे थे, इस मीटिंग में जॉर्ज फर्नांडीस भी शामिल थे. इस बारे में नीतीश कुमार कहते हैं कि उस वक्त बीजेपी को सियासी साथियों की दरकार थी और हम समता पार्टी वाले विधानसभा में हारने के बाद बीजेपी जैसे एक साझीदार की तलाश कर रहे थे जो बिहार में लालू की काट साबित हो सकता था.
आगे सीएम नीतीश कुमार ने कहा, “मुझे सबसे ज्यादा आश्चर्य उस वक्त तब हुआ जब अटल जी और आडवाणी जी की अगुवाई में चल रही बीजेपी विवादास्पद मुद्दों, जैसे रामजन्म भूमि, समान आचार संहिता और धारा-370 की समाप्ति को ठंडे बस्ते में डालने के लिए राजी हो गई थी.” नीतीश के मुताबिक 1996 में दोनों पार्टियां मिलकर चुनाव लड़ीं और दो अंकों में सीटें हासिल की. सीएम नीतीश ने यह भी बताया कि अटल जी उनके पूर्व संसदीय क्षेत्र बाढ़ में आया करते थे. जब वो किसी का (वाजपेयी) प्रचार करने आते थे तो आप इस बात को लेकर निश्चित हो जाते थे कि आपके राजनीतिक विरोधी भी बैठेंगे और उनका भाषण सुनेंगे.
1999 में नीतीश कुमार देश के रेल मंत्री थे. गैसल में भारी ट्रेन दुर्घटना हुई थी. 300 लोग मारे गये. नीतीश कहते हैं, “घटनास्थल पर पहुंचने के बाद मैंने महसूस किया कि लोग रेलवे स्टाफ की लापरवाही की वजह से मरे हैं, मैंने इस्तीफा दे दिया, लेकिन अटल जी स्वीकार करने के मूड में नहीं थे…उन्हें मुश्किल से मनाना पड़ा” 1999 के लोकसभा चुनाव की एक घटना याद करते हुए नीतीश कहते हैं कि उस वक्त बैलट पेपर से काउंटिंग होती थी. नतीजे आने में दो से तीन दिन लगते थे. रिपोर्ट आई कि मैं चुनाव हार रहा हूं…चिंता और हड़बड़ाहट के माहौल में उन्होंने मुझे फोन किया और काउंटिंग की प्रोगेस जाननी चाही, जब मैंने उन्हें निश्चित किया कि नतीजे मेरे पक्ष में हैं, तभी उन्होंने फोन रखा.
सीएम नीतीश ने अपने राज्य बिहार की मांगों को लेकर कहा कि अटल जी इस मायने में काफी उदार थे. और जब भी किसी मांग में योजना आयोग रोड़ा अटकाता तो वे वाजपेयी जी के पास जाते और वे कोई ना कोई समाधान जरूर निकालते. नीतीश वाजपेयी को याद करते हुए कहते हैं, “यदि अटल जी का नेतृत्व नहीं होता, मैं गवर्नेंस के उन आधारभूत चीजों को भी नहीं सीख पाता जिसका पालन मैं आज भी करता हूं, उन्होंने बेहद सहजता से दिखाया था कि आप दूसरे नेताओं का विरोध उनके प्रति विनम्र रहकर भी कर सकते हैं, वो पत्रकारों से कठिन बिंदुओं और विपरित हालात में भी सवाल लिया करते थे, संसदीय लोकतंत्र में उनका सहज और निष्पक्ष विश्वास, सहयोगियों के साथ कैसे व्यवहार किया जाता है यह एक ट्रेडमार्क बन गया था.” फिर अंत में सीएम नीतीश ने कहा, “अटल जी, आपने मुझे जो भी सिखाया, मैं आज भी उसका पालन करता हूं, आपका जाना बेहद दुखद है.” तमाम बातें एनडीटीवी से बातचित के दौरान सीएम नीतीश कुमार ने बताया.
Source: DBN News