मुर्गा और बतख पालन कर इन दिनों युवा अपने सपनों को साकार कर रहे हैं. ऐसा ही कुछ वैशाली जिले के बीबीपुर के रहनेवाले अनिल सिंह कर रहे हैं. वे पिछले 4 साल से मुर्गा पालन कर रहे हैं. साथ ही इससे होने वाले मुनाफे को देखते हुए वे अपने फॉर्म को बड़ा भी बनाते जा रहे हैं. अनिल बताते हैं कि वे पहले घर पर ही रहकर खेती किया करते थे. किसी तरह से घर चल रहा था. जबकि उनका एक दोस्त मुर्गा फॉर्म चलाता था. इससे उसे अच्छा मुनाफा हो रहा था. अनिल ने दोस्त से बातचीत की और 1000 पीस की क्षमता वाला पोल्ट्री फार्म खोल लिया.
मुर्गा पालन से फायदा होने के बाद अनिल ने अब 25000 क्षमता वाला फार्म खोल लिया है. वे बताते हैं कि साल में 7 बार मुर्गा बेचते हैं. इससे उन्हें सालाना 7-8 लाख रुपए की कमाई हो जाती है. वे कहते हैं कि उन्हें इस काम में मन लग गया है. बाजार भी मिल जा रहा है, इस कारण से मुर्गा बेचने में कोई दिक्कत नहीं होती है. हालांकि वे कहते हैं मुर्गा पालन के लिए उनके रहने, खाने-पीने आदि का विशेष ध्यान रखना पड़ता है.
एक मुर्गे पर 160 रुपए खर्च
अनिल बताते हैं कि पहले हमलोग चूजा लाते हैं. यहां उसे मापदंडों के अनुसार विकसित होने के लिए रखते हैं. इसके बाद उसे दाना-पानी देने लगते हैं. इस तरह मात्र 35 दिन में ही चूजा 2 किलो का मुर्गा बनकर तैयार हो जाता है. वे बताते हैं कि एक मुर्गा तैयार करने में लगभग 160 रुपए का खर्च आता है. जिसे हमलोग मार्केट में 180 से 185 रुपए में बेच देते हैं. उन्होंने बताया कि इस काम में उन्हें अच्छा मुनाफा हो जाता है. अनिल कहते हैं कियुवाओं को नौकरी का चक्कर छोड़ बिजनेस ही करना चाहिए.