छोले भटूरे के दीवानों के लिए बेस्ट है ये जगह, खाएंगे तो कहेंगे-वाह कमाल है!

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बिहार का लखीसराय वैसे तो खाने-पीने के मामले में शौकीनों का शहर माना जाता है. जो भी यहां की मिठाई सहित अन्य व्यंजनों को चख लेता है, इसका स्वाद नहीं भूल पाते हैं. लखीसराय में सुबह के नाश्ते में कचौड़ी-सब्जी के बाद सबसे ज्यादा पसंद किया जाने वाला व्यंजन छोले-भटूरे है. अगर आप भी नाश्ते में छोले-भटूरे खाना पसंद करते हैं तो शहर के पचना रोड आना होगा. यहां कन्हैया कुमार पिछले 8 वर्षो से लोगों को स्वादिष्ट छोले-भटूरे खिलाते आ आ रहे हैं. 25 रूपए हीं कन्हैया लोगों को छोले-भटूरे खिलाते हैं.

कन्हैया कुमार ने बताया कि पिछले 8 वर्षों से लखीसराय में लोगों को छोले-भटूरे का स्वाद चखा रहे हैं. लोगों के बीच डिमांड अधिक रहने की वजह से सुबह सात से पहले हीं दुकान लगा देते हैं. ग्राहकों को कोई परेशानी न हो इसके लिए अधिकांश साम्रागी अहले सुबह उठकर हीं तैयार कर लेते हैं. ठेला लगाते हीं नाश्ते के लिए लोगों की भीड़ जुटनने लगती है. कन्हैया कुमार ने बताया कि 25 रूपए में दो पीस भटूरे के साथ छोले और सलाद परोसते हैं.

टेस्ट का हर कोई दीवाना’


कन्हैया ने बताया कि वह छोले-भटूरे बनाने में पारंगत हैं और इसका लाभ उनके खुद के व्यवसाय में मिल रहा है . सबसे खास बात यह है कन्हैया का भटूरे बनाने का उनका अंदाज आपको दीवाना बना देगा. भटूरे बनाने में वो आटा और मैदा का इस्तेमाल करते हैं. प्रत्येक दिन 15 केजी आटा और 5 केजी मैदा की खपत है और छोले बनाने में काबुली चना का इस्तेमाल करते हैं.

सालाना दस लाख की कर लेते हैं कमाई
कन्हैया कुमार ने बताया कि प्रत्येक दिन सुबह 7 बजे से लेकर दोपहर के 1 बजे तक दुकान लगाते हैं. रोजाना 200 प्लेट छोले-भटूरे की बिक्री कर लेते हैं. साथ हीं इसको बनाने में घर में तैयार मसाले का हीं इस्तेमाल करते हैं. उन्होंने यह भी बताया कि छोले-भटूरे में सबसे बड़ी बात यह है कि भटूरे बनाते समय गुणवत्ता का काफी ख्याल रखना होता है.

छोले-भटूरे खा रहे मुकेश कुमार ने बताया कि वह शेखपुरा से यहां निजी कार्य के लिए आए हैं. जब भी लखीसराय आना होता है तो कन्हैया के ठेले पर आकर छोले-भटूरे जरूर खाते हैं. वहीं कन्हैया कुमार ने बताया कि सालाना ठेला पर छोले-भटूरे बेचकर सालाना 10 लाख की कमाई कर लेते हैं.

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