बिहार कर्मचारी चयन आयोग (बीएसएससी) की तृतीय स्नातक स्तरीय संयुक्त प्रतियोगिता परीक्षा की दो अन्य पाली को भी रद कराने के लिए बुधवार को सैकड़ों की संख्या में अभ्यर्थियों ने पटना कालेज से मार्च निकाला। डाकबंगला चौराहा पर पुलिस ने अभ्यर्थियों को आगे बढ़ने से रोक दिया। कुछ अभ्यर्थी बैरिकेडिंग लांघ आगे बढ़ने लगे तो पुलिस ने लाठीचार्ज कर दिया। दोपहर में एक घंटे तक डाकबंगला चौराहा और आसपास अफरातफरी का माहौल रहा। पुलिस ने अभ्यर्थियों को दौड़ा-दौड़ाकर पीटा। दुकान में घुसे अभ्यर्थियों पर भी पुलिस ने जमकर लाठियां बरसाई। इसमें छात्र नेता दिलीप कुमार समेत 25 से अधिक अभ्यर्थी के घायल होने की सूचना है। पांच हिरासत में लिए गए हैं। मजिस्ट्रेट आदित्य विक्रम के बयान पर पांच नामजद तथा एक हजार अज्ञात पर प्राथमिकी दर्ज की गई है।
कोतवाली थानाध्यक्ष संजीत कुमार ने बताया छात्रों पर प्रतिबंधित क्षेत्र प्रवेश करने, सरकारी काम में बाधा डालने, पुलिस-प्रशासन से धक्कामुक्की करने आदि की धारा लगाई गई है। हिरासत में लिए गए अनूप कुमार, दीपक कुमार, सोनू, चंद्रमौली कुमार व पुरुषोत्तम कुमार को ही नामजद किया गया है।
कहां नहीं होती है लाठीचार्ज की घटना
वहीं दूसरी तरफ, राजधानी पटना में इतने बड़ें हंगामे की खबर से जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह बेखबर दिखे। बुधवार को संवाददाताओं से बातचीत के दौरान जब उनसे हंगाने और विपक्ष के हमले के बारे में पूछा गया तो ललन सिंह ने कहा कि मुझे नहीं पता कि कहां लाठीचार्ज की घटना हुई है। इसके बाद उन्होंने उलटा विपक्ष से ही सवाल पूछ दिए और कहा कि क्या राज्य में या देश में लाठीचार्ज की पहली घटना हुई है।
कभी-कभी करना पड़ता है बल प्रयोग
लाठीचार्ज के बाद विपक्ष के नेता विजय कुमार सिन्हा के जंगलराज की वापसी के आरोपों पर ललन सिंह ने कहा कि विजय सिन्हा के नाम और पदनाम के साथ नेता शब्द जुड़ा हुआ है। इसलिए कुछ न कुछ बोलते रहते हैं। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में विरोध का अधिकार सबको है, लेकिन यह भी ध्यान रखना पड़ता है कि उससे कानून व्यवस्था प्रभावित नहीं हो। व्यवस्था बनाए रखने के लिए कभी-कभी बल प्रयोग करना पड़ता है।