लोक आस्था का महापर्व छठ व्रत में व्रती को कईकठिन साधनाओंसे होकर गुजरना पड़ता है. वहीं अगर छठ पर्व की बात करें तो इस पर्व को कार्तिक महीने में मनाया जाता हैं. वही इस की शुरुआत नहाय-खाय से शुरू होकर प्रातःकालीन अर्ध्य देने के साथ इसकासमापन किया जाता है. इस पर्व में कई ऐसी नियम है जिसको मानना पड़ता है.समें मुंह धोने से लेकर खाने और कपड़े तक का विशेष रुप से ख्याल रखना पड़ता है. यह पर्व लोक आस्था के साथ साक्षात दिखने वाले सूर्य देव हैं, जो लोगों को अपने प्रकाश में रखते और भक्तों की सभी मनोकामना पूरी करते हैं. पर क्या आप जानते हैं कि इस व्रत को करने वाले आखिर आम की लकड़ी से दातून क्यों करते हैं. इस पर विशेष जानकारी पंडित दयानाथ मिश्र ने दी.
आम की लकड़ी होती है अत्यंत पवित्र
जानकारी देते हुए कई छठ व्रती और ज्योतिष के जानकर पंडित दयानाथ मिश्र कहते हैं कि इस छठ महापर्व को साक्षात सूर्यदेव की आराधना कराते हैं. जिससे लोगों को जीने के लिए हर तमाम ऊर्जा मिलती हैं. उन्होंने कहा इस पर्व में बहुत मान्यताएं हैं, जिसमें एक खास मान्यताएं.
छठ व्रती आम के दातून से अपना मुंह धोती हैं इसके पीछे की रहस्य है कि आम के दातून से मुंह धोने से दांत से खून नहीं निकलता. आम अत्यंत पवित्र होता है. विवाह में जनेऊ में किसी या किसी भी शुभ कार्य में आम पल्लव, आम का लकड़ी, आम की लकड़ी की बनी वस्तुओं का बहुत प्रयोग होता है.