पर्व में वैसे भी जाति और धर्म का बंधन टूट जाता है. खास कर अगर बात करें बिहार के सबसे बड़े लोक आस्था के पर्व छठ की तो इसमें सभी जाति और सभी धर्म के लोग अपने-अपने तरीके से सहभागिता देते हैं. सामाजिक रूप से पिछड़े लोग जहां छठ के लिए छिट्टा, दौरा, कोनिया आदि बनाते आ रहे है. तो वहीं, कई मुस्लिम परिवार के लोग अन्य पूजा सामग्री का निर्माण करते हैं. ऐसा ही कुछ भागलपुर में देखने को मिल रहा है. दरअसल, भागलपुर के काजीचक में मुस्लिम परिवार छठ में चढ़ने वाले बद्धि माला का निर्माण कर रहे हैं.
काजीचक की रहने वाली सलीमा खातून, यास्मीन व छोटे-छोटे बच्चे छठ पूजा के लिए बद्धि बनाने में जुटे हुए हैं. बिना किसी भेदभाव के पूरी शुद्धता के साथ मुस्लिम महिलाएं बद्धि का निर्माण कर रही हैं. इसके लिए उन्हें बाजार से अच्छा खासा ऑर्डर भी मिल रहा है. इनकी बद्धि सिर्फ भागलपुर ही नहीं, बल्कि अन्य जिलों में भी भेजे जाते हैं. बद्धि बनाने वालीयास्मीन बताती है कि हमलोग अभी से नहीं, बल्कि कई साल से इस काम को करते आ रहे हैं. कभी मन में ये नहीं आया कि हमलोग हिन्दू के पर्व के लिए ये कर रहे हैं. पूरी शुद्धता के साथ इसका निर्माण करते हैं.
पूरे मुहल्ले में बनाया जाता है बद्धि
सलीमा खातून ने बताया कि हमलोग सभी पर्व की सामग्री तैयार करते हैं. यह एक ऐसा मोहल्ला है, जहां हिन्दू-मुस्लिम में कोई भेदभाव नहीं है. सलीमा ने बताया कि छठ हिंदुओं का बहुत आस्था वाला पर्व है. हमलोग भी इस पर्व की महत्ता को मानते हैं. इसलिए बिना भेदभाव किए इस पर्व में अपना समय देते हैं. सलीमा बताती हैं कि दर्जनों मुस्लिम परिवार इस माला को बनाते हैं. यह काम कई साल से होता आ रहा है. पुश्तैनी काम है, अनंत हो या डोरा या फिर जितिया बंधन, सबकुछ यहां की महिलाएं बनाती हैं. काजीचक, लोहापट्टी, हुसैनाबाद और नाथनगर की दर्जनों मुस्लिम महिलाएं पर्व के मौके पर बद्धि बनाती हैं.